Edited By ,Updated: 20 Jul, 2016 01:09 PM
मोदी सरकार दालों की कीमतों पर नियंत्रण की लगातार कोशिशें कर रही है, इसके बावजूद कीमतें अभी और बढ़ने की पूरी आशंका है।
नई दिल्लीः मोदी सरकार दालों की कीमतों पर नियंत्रण की लगातार कोशिशें कर रही है, इसके बावजूद कीमतें अभी और बढ़ने की पूरी आशंका है। खास तौर पर अरहर यानी तूर की दाल की कीमतें नया रिकॉर्ड बना सकती हैं। अरहर दाल इस वक्त 180 रुपए प्रति किलो है लेकिन देश-विदेश के मार्कीट के जो हालात हैं, उससे इसकी कीमत जल्द ही 250 रुपए प्रति किलो पर पहुंच सकती है। जमाखोरी पर नकेल नहीं कसी गई और आयातित अरहर की दाल के मार्कीट में आने में देरी हुई तो इसकी कीमत 300 रुपए के स्तर को भी पार कर सकती है।
अरहर दाल की मांग बढ़ी
देश में दालों की मांग 3.30 करोड़ टन तक पहुंच चुकी है। इसमें अरहर दाल की डिमांड 1.80 करोड़ टन है। मगर देश में उत्पाद करीब 1.02 करोड़ टन का है। यानी डिमांड से काफी कम। अहम बात यह है कि इसका उत्पादन कम देश ही करते हैं। इसमें अफगानिस्तान, कनाडा, साउथ अफ्रीका और म्यांमार शामिल हैं।
भारत कमोबेश इन्हीं देशों से अरहर दाल का आयात करता है। इस वक्त इन देशों में भी अरहर उत्पादन कम होने की बातें कही जा रही हैं। यही कारण है कि भारत ने अब मोजांबिक जैसे अफ्रीकी देश से दालों के आयात का समझौता किया है। भारत इस देश को दालों, विशेष रूप से अरहर दाल के उत्पादन में मदद करेगा और फिर खरीदेगा।
खपत में इजाफा
इंडस्ट्री चैंबर एसोचैम की एक स्टडी रिपोर्ट के अनुसार, अरहर दाल की खपत भारत में सबसे ज्यादा है। हालांकि, यूरोप सहित अमेरिका और अन्य देशों में इसकी खपत न के बराबर है। इन देशों के किसान अरहर की बजाय मक्के और अन्य अनाजों की खेती करना ज्यादा पसंद करते हैं।
नई चुनौतियां
इस बार 71 लाख हैक्टेयर में दालों की बुआई हुई है। मगर सरकार के पास बफर स्टॉक में दालें और खासकर अरहर दाल नहीं के बराबर है। एसोचैम के डायरेक्टर जनरल डीसी रावत का कहना है कि अरहर की दालों की कीमतों में तेजी इस बात पर निर्भर करेगी कि मार्केट में किस तरह से इसकी सप्लाइ होती है।