Edited By ,Updated: 30 Apr, 2017 11:19 AM
अखिल भारतीय बैंक अधिकारी कॉन्फिडरेशन (ए.आई.बी.ओ.सी.) ने बैंकों के निजीकरण को लेकर रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) के रुख पर सवाल उठाते हुए आज कहा कि केंद्रीय बैंक को कमजोर बैंकों के बड़े बैंकों में विलय की बजाय उनके जीर्णोद्धार की योजना बनानी चाहिये।
नई दिल्लीः अखिल भारतीय बैंक अधिकारी कॉन्फिडरेशन (ए.आई.बी.ओ.सी.) ने बैंकों के निजीकरण को लेकर रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) के रुख पर सवाल उठाते हुए आज कहा कि केंद्रीय बैंक को कमजोर बैंकों के बड़े बैंकों में विलय की बजाय उनके जीर्णोद्धार की योजना बनानी चाहिए। ए.आई.बी.ओ.सी. ने आज एक बयान जारी करके कहा कि केंद्रीय बैंक का काम मजबूत बैंकिंग सेक्टर बनाना है, न कि उसे नष्ट करना। उसने आर.बी.आई. गवर्नर उर्जित पटेल के उस बयान की निंदा की जिसमें उन्होंने कहा था कि यह अच्छी बात है कि कमजोर बैंकों की बाजार हिस्सेदारी कम हो रही है। उसने कहा बैंकों के निजीकरण पर आर.बी.आई. गवर्नर और डिप्टी गवर्नर (डॉ. विरल आचार्य) के बयान चिंताजनक हैं।
आचार्य ने कहा था कि बैंकों के निजीकरण से सरकार को बैंकिंग तंत्र के पुन:पूंजीकरण पर कम राशि खर्च करनी होगी और सरकार वित्तीय अनुशासन बनाये रख सकेगी। ए.आई.बी.ओ.सी. ने कहा कि यदि ये बैंक कमजोर हैं तो इन्हें किसने कमजोर बनाया है? उसने कहा यदि सरकार और आरबीआई संसद की स्थायी समिति द्वारा एनपीए पर की गयी अनुशंसाओं के अनुरूप एनपीए पर कुछ ठोस कदम उठाये तो हम इन सभी बैंकों को लाभ में लाने में सक्षम हैं। उन्होंने माँग की कि आर.बी.आई. को नोटबंदी के दौरान हुए नुकसान की बैंकों को भरपाई करनी चाहिए।