बंबई उच्च न्यायालय ने RERA को माना वैध

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Dec, 2017 12:29 PM

bombay high court considers rera to be valid

बंबई उच्च न्यायालय ने रियल इस्टेट (नियमन एवं विकास) कानून (रेरा) की वैधता को सही ठहराया। न्यायाधीश नरेश पाटिल व न्यायाधीश राजेश केतकर की पीठ ने इस बारे में अनेक रियल इस्टेट डेवल्परों तथा भूखंड मालिकों द्वारा दायर विभिन्न याचिकाओं पर अपना फैसला...

मुंबईः बंबई उच्च न्यायालय ने रियल इस्टेट (नियमन एवं विकास) कानून (रेरा) की वैधता को सही ठहराया। न्यायाधीश नरेश पाटिल व न्यायाधीश राजेश केतकर की पीठ ने इस बारे में अनेक रियल इस्टेट डेवल्परों तथा भूखंड मालिकों द्वारा दायर विभिन्न याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया। इन याचिकाओं में उक्त कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है जो कि इसी साल प्रभावी हुआ। इस कानून के तहत अन्य बातों के अलावा सभी डेवल्परों को एक नियामक प्राधिकार के अधीन पंजीबद्ध कराना होता है। इसके तहत ग्राहकों को मकान के कब्जे देने में देरी होने पर क्रेता मुआवजे की मांग कर सकता है।

हालांकि पीठ ने अपने फैसले में डेवल्परों के लिए काफी गुंजाइश रखते हुए राज्य स्तरीय रेरा प्राधिकार व अपीलीय न्यायाधिकरण से कहा है कि वे परियोजनाओं में देरी के मामलों में अलग-अलग आधार पर विचार करें तथा उन मामलों में किसी परियोजना या डेवल्पर के पंजीकरण को रद्द नहीं किया जाए जहां देरी की वजह कोई कारण या हालात विशेष रहे हों। उल्लेखनीय है कि केंद्र व राज्य सरकार ने इस कानून का जोरदार बचाव करते हुए कहा है कि इसके कड़े प्रावधान क्रेताओं के हितों की रक्षा तथा डेवल्परों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए हैं।

रेरा को चुनौती देने वाली अनेक याचिकाएं देश भर के उच्च न्यायालयों में दाखिल की गई थीं। इसके बाद सितंबर में उच्चतम न्यायालय ने अन्य अदालतों में इससे संबंधित प्रक्रिया पर रोक लगाई और बंबई उच्च न्यायालय को सुझाव दिया कि वह रेरा मामलों की सुनवाई पहले करे। शीर्ष अदालत ने कहा कि था कि अन्य अदालतों को रेरा से जुड़े मामलों पर सुनवाई से पहले बंबई उच्च न्यायायल के फैसले का इंतजार करना चाहिए। 

 

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