बजट 2018: इन मायनों में अलग होगा आज पेश होने वाला आम बजट

Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Feb, 2018 09:23 AM

budget 2018  in these ways it will be different today

1 फरवरी 2018 को जब वित्त मंत्री अरुण जेटली लोक सभा में बजट भाषण पढ़ रहे होंगे तो यह उनके मौजूदा कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट होगा। 2019 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वोट ऑन अकाउंट बजट पेश किया जाएगा। आखिरी पूर्ण बजट होने से साथ साथ यह देश में वस्तु...

नई दिल्लीः 1 फरवरी 2018 को जब वित्त मंत्री अरुण जेटली लोक सभा में बजट भाषण पढ़ रहे होंगे तो यह उनके मौजूदा कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट होगा। 2019 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वोट ऑन अकाउंट बजट पेश किया जाएगा। आखिरी पूर्ण बजट होने से साथ साथ यह देश में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद पेश हो रहा पहला आम बजट भी होगा। ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि इस साल का बजट किस तरह पिछले किसी भी बजट से अलग होगा? दो और सवाल हैं, जीएसटी के बाद कितना बदल जाएगा बजट और क्या इस साल बजट से गायब होगा सस्ता महंगा फैक्टर?

विशेषज्ञ मान रहे हैं कि जीएसटी लागू होने के बाद सरकार के पास अप्रत्यक्ष करों में किसी बड़े बदलाव की गुंजाइश नहीं है। वह कर जिसे सीधे जनता से नहीं लिया जाता, लेकिन जिसका बोझ प्रकारांतर से उसी पर पड़ता है, अप्रत्यक्ष कर कहलाते हैं। देश में तैयार की जाने वाली वस्तुओं पर लगने वाला उत्पाद शुल्क, आयात या निर्यात की जाने वाले वस्तुओं पर लगने वाला सीमा शुल्क अप्रत्यक्ष कर हैं। अगर सरकार को अप्रत्यक्ष कर के मोर्चे पर किसी तरह का बदलाव करना है तो इसकी मंजूरी बजट से पहले जीएसटी काउंसिल की बैठक में लेनी होगी। गौरतलब है कि जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 18 जनवरी को होनी है।

बजट को कितना बदलेगा जीएसटी
जीएसटी के बाद बजट के किस तरह के बदलाव आएंगे? इस सवाल पर राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान की सलाहकार और अर्थशास्त्री राधिका पांडे ने बताया कि पहले यह जान लें कि आम बजट के अमूमन दो हिस्से होते हैं। पहले हिस्से में सरकार विभिन्न योजनाओं या स्कीमों के लिए लिए बजट राशि का आवंटन करती है। वहीं बजट के दूसरे हिस्से में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के प्रस्ताव की बात होती है। अब चूंकि जीएसटी में वैट, एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स समेत एक दर्जन से ज्यादा अप्रत्यक्ष कर शामिल हो गए हैं तो सरकार के पास इनमें फेरबदल की गुंजाइश नहीं रह जाती, क्योंकि जीएसटी अब एक अलग कानून है और जीएसटी की दरों में बदलाव के लिए काउंसिल की मंजूरी जरूरी है। ऐसी स्थिती में सरकार के पास या तो जीएसटी से बाहर छूटे टैक्स कस्टम ड्यूटी आदि में कुछ बदलाव करने की गुंजाइश बचती है या फिर तंबाकू, पेट्रोल डीजल समेत ऐसी चीजें जो अभी जीएसटी के दायरे में नहीं हैं, उनमें कुछ बदलाव हो सकते हैं।

बजट से नदारद होगा सस्ता-मंहगा फैक्टर
आमतौर पर बजट के बाद ज्यादातर लोगों की यह जिज्ञासा रहती है कि बजट के असर से कौन कौन सी चीजें सस्ती और महंगी हुईं। यह सस्ते महंगे की मूल वजह दरअसल अप्रत्यक्ष करों में बदलाव से जुड़ी होती है। अब चूंकि जीएसटी लागू होने बाद ज्यादातर अप्रत्यक्ष करों में बदलाव की गुंजाइश खत्म हो गई है इसलिए सस्ता महंगा फैक्टर इस बार के बजट में कम दिखेगा।
 

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