कच्चे तेल को ध्यान में रखकर तैयार हो रहा बजट, जानिए क्या होगा असर?

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Dec, 2017 02:00 PM

budget prepared by taking crude oil in mind

माल एवं सेवाकर (जी.एस.टी.) लागू होने के बाद देश का पहला आम बजट 1 फरवरी 2018 को पेश होने की संभावना है। इसी बीच केंद्र सरकार कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए यह मानकर केंद्रीय बजट तैयार कर रही है कि कच्चे तेल के औसत दाम 65 डॉलर प्रति बैरल...

नई दिल्लीः माल एवं सेवाकर (जी.एस.टी.) लागू होने के बाद देश का पहला आम बजट 1 फरवरी 2018 को पेश होने की संभावना है। इसी बीच केंद्र सरकार कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए यह मानकर केंद्रीय बजट तैयार कर रही है कि कच्चे तेल के औसत दाम 65 डॉलर प्रति बैरल रहेंगे। 2017-18 के बजट में माना गया था कि दाम 55 डॉलर प्रति बैरल रहेंगे।

पेट्रोलियम सब्सिडी में हो सकती है बढ़ौतरी
जानकारी के मुताबिक कच्चे तेल के दाम इस साल और अगले साल अनुमान से ऊपर जा सकते हैं और पेट्रोलियम सब्सिडी बढ़ सकती है। 2017-18 में पेट्रोलियम सब्सिडी के मद में 25,000 करोड़ रुपए आवंटित था। एक अधिकारी ने कहा, 'वित्त मंत्रालय व तेल मंत्रालय कच्चे तेल के बढ़ते दाम पर चर्चा कर रहे हैं। इसका असर इस साल और अगले साल के सब्सिडी आवंटन पर पड़ सकता है।' अधिकारी के अनुसार बजट निर्माता विचार कर रहे हैं कि कच्चे तेल के बढ़ते दाम को देखते हुए अगले साल का लक्ष्य 25,000 करोड़ रुपए रखा जाए। बहरहाल इस समय पेट्रोलियम सब्सिडी सिर्फ रसोई गैस (एलपीजी) और केरोसिन पर दिया जाता है।
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रसोई गैस की कीमतों में इजाफा
गैर सब्सिडी वाले रसोई गैस के दाम नवंबर महीने में 59 प्रतिशत बढ़कर 742 रुपए प्रति सिलेंडर हो गए हैं वहीं सब्सिडी वाले सिलेंडरों के दाम भी 16 प्रतिशत बढ़कर 495.69 एप्रति सिलेंडर हो गए हैं। अधिकारी ने कहा, 'वित्त वर्ष के पहले 6 महीने में एलपीजी और केरोसिन पर सब्सिडी पेट्रोलियम मंत्रालय ने 9,079 करोड़ रुपए बताई, जो हाल में कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी के बाद अगली छमाही में और ज्यादा होने जा रही है।'  रसोई गैस सब्सिडी 13,000 करोड़ रुपए रहने का अनुमान था, जो अब बढ़कर 15,000 करोड़ रुपए हो जाएगी। अक्टूबर महीने में सरकार ने पेट्रोल व डीजल पर उत्पाद शुल्क में 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी, जिससे बढ़ती महंगाई दर पर काबू पाया जा सके और ग्राहकों को ऑटो ईंधन के बढ़ते दाम से राहत मिल सके। अगर पेट्रोल व डीजल के दाम में आगे और बढ़ोतरी होती है तो सरकार उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी कर सकती है। 

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