RERA में प्रोजैक्ट रजिस्ट्रेशन न करवाना पड़ेगा महंगा, बिल्डर्स हो जाएं सावधान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Aug, 2017 10:26 AM

builders be careful about rera registration

जो बिल्डर्स नए रियल एस्टेट रैगुलेशन एक्ट (रेरा) से बचने की कोशिश कर रहे थे, वे ऐसा नहीं कर पाएंगे।

नई दिल्लीः जो बिल्डर्स नए रियल एस्टेट रैगुलेशन एक्ट (रेरा) से बचने की कोशिश कर रहे थे, वे ऐसा नहीं कर पाएंगे। बैंकों ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आर.बी.आई.) के साथ सलाह करने के बाद यह फैसला किया है कि उन प्रोजैक्ट्स को लोन नहीं दिया जाएगा, जो रेरा के तहत रजिस्टर्ड नहीं हैं। बैंकों से लोन नहीं मिलने के डर से बिल्डरों को सभी प्रोजैक्ट्स का रजिस्ट्रेशन रेरा के तहत करवाना पड़ेगा।

एक अधिकारी के मुताबिक रेरा का मकसद ग्राहकों का पैसा लेकर रातोंरात फरार होने वाले बिल्डरों पर लगाम लगाना है, इसलिए हम उन प्रोजैक्ट्स को कर्ज नहीं देंगे, जो नए रियल एस्टेट कानून के तहत रजिस्टर्ड नहीं होंगे। उन्होंने बताया कि इन रैगुलेशंस के मुताबिक चलने में हमारा भी फायदा है। लोन देने में पहले सावधानी बरतना जरूरी है। बाद में पछताने से कोई फायदा नहीं होता।

70 पर्सैंट रकम रखनी होगी अलग बैंक खाते में 
नए रियल ऐस्टेट (रैगुलेशन एंड डिवैलपमैंट) एक्ट, 2016 (रेरा) में बिल्डर को किसी प्रोजैक्ट के लिए ग्राहकों से ली गई 70 पर्सैंट रकम अलग बैंक खाते में रखनी होगी। इससे उसके पास किसी अन्य कामकाज के लिए 30 पर्सैंट रकम होगी। पहले वह ग्राहकों से लिए गए पूरे पैसे का इस्तेमाल उस प्रोजैक्ट के अलावा किसी और काम में कर सकता था। रियल एस्टेट इंडस्ट्री की संस्था अपने सदस्यों से रेरा के तहत प्रोजैक्ट को रजिस्टर कराने की अपील कर रही है, लेकिन इस मामले में उसे बहुत सफलता नहीं मिली है। बिल्डरों की सबसे बड़ी संस्था कन्फैडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डिवैलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रैजीडैंट जे. शाह ने कहा कि हमने अपने सभी मैंबर डिवैलपर्स से अपने प्रोजैक्ट्स रेरा के तहत रजिस्टर कराने को कहा है। उन्होंने इसका वादा भी किया है। शाह ने कहा कि रेरा का मकसद यह है कि ग्राहकों को तकलीफ न सहनी पड़े। डिवैलपर्स रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई कर रहे हैं। इसे तेजी से प्रोसैस करने के लिए अथॉरिटी के लैवल पर इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार लाया जाना चाहिए। यह काम तेजी से होना चाहिए क्योंकि ग्राहक पोजैशन का इंतजार कर रहे हैं। वहीं, रजिस्ट्रेशन होने तक हम मार्कीटिंग या फाइनांसिंग की दिशा में काम नहीं कर सकते।
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रियल एस्टेट सैक्टर को कर्ज देने में बरत रहे सावधानी 
बैंकों ने कुछ रियल एस्टेट कम्पनियों को कर्ज देने के लिए प्रमोटरों से पर्सनल प्रापर्टीज की गारंटी मांगी है। एक सरकारी बैंक के अधिकारी ने बताया कि हम बहुत आशंकित हैं। अगर हम कानून के मुताबिक कर्ज देते हैं तो जिस तरह से इसे बनाया गया है, उससे हमारे हितों की रक्षा नहीं होगी। अगर ऐसी प्रापर्टी में बैड लोन की सूरत बनती है तो ग्राहकों का पैसा लौटाने का प्रावधान है। हमारे बारे में ऐसे प्रोविजन नहीं किए गए हैं। इसलिए हम रीयल एस्टेट सैक्टर को कर्ज देने में बहुत सावधानी बरत रहे हैं।

 

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