फसल बीमा योजना के खराब अनुपालन के लिए CAG ने लगाई लताड़

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jul, 2017 02:11 PM

cag picks holes in crop insurance schemes

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने 2011-16 के बीच फसल बीमा योजना के खराब अनुपालन के लिए लताड़ लगाई है।

नई दिल्लीः नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने 2011-16 के बीच फसल बीमा योजना के खराब अनुपालन के लिए लताड़ लगाई है। कैग ने कहा कि इस अवधि में 3,622.79 करोड़ रुपए का कोष बिना किसी जांच के निजी बीमाकर्ताओं को जारी किया गया। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि केंद्र और राज्य दोनों सरकारों ने इस अवधि में प्रीमियम सब्सिडी और दावा देनदारिता के लिए कुल 32,606.65 करोड़ रुपए का व्यय किया। इस कोष का लेनदेन सार्वजनिक क्षेत्र की कृषि बीमा कंपनी (ए.आई.सी.) के माध्यम से निजी कंपनियों को किया गया।

कैग ने राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एन.ए.आई.एस.), संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एम.एन.ए.आई.एस.) और मौसम आधारित फसल बीमा योजना (डब्ल्यू.बी.सी.आई.एस.) के 2011-12 से 2015-16 के दौरान अनुपालन का आकलन किया। हालांकि 2016 में खरीफ के मौसम से इन सभी योजनाओं को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पी.एम.एफ.बी.वाई.) के तहत लाया गया।
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संसद में पेश की गई रिपोर्ट में कैग ने कहा, वर्ष 2011-16 के बीच ए.आई.सी. ने 10 निजी बीमा कंपनियों को दिशानिर्देशों के बिना किसी अनुपालन के 3,622.79 करोड़ रुपए का कोष जारी किया। इसमें कहा गया है कि ए.आई.सी. केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से पुर्नबीमा देने में भी असफल रही है।

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