Edited By ,Updated: 23 Apr, 2017 04:07 PM
आयकर विभाग ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी से मांगी गयी 10,247 करोड़ रुपए के कर की राशि पर ब्याज से राहत देने के आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकता है।
नई दिल्लीः आयकर विभाग ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी से मांगी गयी 10,247 करोड़ रुपए के कर की राशि पर ब्याज से राहत देने के आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकता है। कर की यह मांग पीछे की अवधि से लागू संशोधन के तहत की गयी है। विभाग का मानना है कि केयर्न एनर्जी की आेर से भारत में अपनी सम्पत्तियों को देश में स्थापित एक नयी कंपनी केयर्न इंडिया को 2006 में हस्तांतरित करने के सौदे में पूंजीगत लाभ हुआ था। विभाग ने पिछली तिथि लागू किए गए कानून संशोधन के तहत कंपनी से इस पूंजीगत लाभ पर जनवरी 2016 में उसके द्वारा पिछली तारीख से कर लगाने का किया गया आकलन एकदम सही है।
यह आंकलन कंपनी द्वारा अपनी भारतीय परिसंपत्ति को एकदम नई कंपनी केयर्न इंडिया को 2006 में हस्तांतरित करने पर हुए कथित पूंजी लाभ पर 10,247 करोड़ रुपए के कर और इस पर 10 साल के ब्याज के रूप में अतिरिक्त 18,800 करोड़ रपये के की मांग का है। आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आई.टी.ए.टी.) ने नौ मार्च के अपने आदेश मेें केयर्न एनर्जी को ब्याज भुगतान के दायित्व से राहत दे दी है क्योंकि कर की मांग पिछली तारीख से प्रभावी संशोधन के प्रावधानों के तहत की गयी है। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा हमारा मानना है कि ब्याज वसूला जाना चाहिए। हम अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेश को उच्च न्यायालय में जल्द चुनौती देने की योजना बना रहे हैं।
इसके अलावा आयकर विभाग भुगतान नहीं करने के लिए मूल का 300 प्रतिशत जुर्माना लगाने का भी विचार कर रहा है। अधिकारी ने कहा कि हमने केयर्न एनर्जी को कारण बताआे नोटिस जारी कर पूछा है कि उस पर जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए। इसका जवाब देने के लिए कंपनी को दस दिन का समय दिया गया है इससे पहले आई.टी.ए.टी. के आदेश के कुछ ही हफ्तों के बाद आयकर विभाग ने 31 मार्च को केयर्न एनर्जी को 10,247 करोड़ रुपए कर की मूल राशि का भुगतान और फरवरी 2016 से अब तक का देरी से भुगतान का ब्याज करने का नोटिस जारी किया था। इस नोटिस में फरवरी 2016 से दंड ब्याज की मांग की गयी है। भाषा