Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Jun, 2017 04:38 PM
देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एस.बी.आई.) ने आशंका जाहिर की है कि देश की अर्थव्यवस्था को धीमा करने और कारोबार पर
नई दिल्लीः देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एस.बी.आई.) ने आशंका जाहिर की है कि देश की अर्थव्यवस्था को धीमा करने और कारोबार पर विपरीत प्रभाव डालने पर नोटबंदी का असर बना रह सकता है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने आठ नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को चलन से बाहर कर 500 और 2,000 रुपए के नए नोटों को शुरू किया था। एस.बी.आई. ने निजी नियोजन के माध्यम से 15,000 करोड़ रुपए जुटाने से पहले अपने सांस्थानिक निवेशकों को सूचना देने वाले दस्तावेज में कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था और बैंकिंग क्षेत्र पर नोटबंदी का दीर्घकालिक प्रभाव अनिश्चित है।
आरबीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों के कुल डिपॉजिट में से कासा डिपॉजिट का अनुपात 4.10 फीसदी से बढ़कर 39.30 फीसदी हो गया है। ये आंकड़ा 17 फरवरी 2017 तक का है, हालांकि इसके असर से बैंकों के कुल डिपॉजिट में गिरावट आई जिसके चलते बैंकों ने लगातार अपने टर्म डिपॉजिट की दरों में कटौती की थी। गौरतलब है कि नोटबंदी के बाद बैंकों के कासा ‘करेंट एंड सेविंग अकाउंट रेश्यो’ डिपॉजिट में अच्छा उछाल देखा गया है।
वहीं नोटबंदी के खराब प्रभावों में से एक असर ये भी है कि एस.बी.आई. के लिए कमर्शियल बैंकों से मुकाबला काफी बढ़ गया है और दूसरे कर्ज देने वाले संस्थान जैसे एन.बी.एफ.सी., हाउसिंग फाइनेंस कंपनी से भी प्रतिस्पर्धा कड़ी हो गई है. एस.बी.आई. ने साफ कह भी दिया है कि लगातार बढ़ती प्रतियोगिता से बैंक के नेट इंटरेस्ट मार्जिन और दूसरी इनकम पर निगेटिव असर होगा।