कैंसर और दिल के मरीजों को राहत, 51 आवश्यक दवाओं के रेट में कटौती

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Nov, 2017 03:24 PM

cancer and heart patients relief reductions in rate of 51 essential medicines

राष्ट्रीय दवा मूल्य नियामक (एन.पी.पी.ए.) ने मरीजों को राहत देते हुए 51 आवश्यक दवाओं के दाम 53 फीसदी तक की कटौती की है। इनमें कैंसर, दिल, दर्द और त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज में काम आने वाली दवाएं शामिल हैं। नियामक ने स्पष्ट किया है कि कोई भी दवा...

नई दिल्लीः राष्ट्रीय दवा मूल्य नियामक (एन.पी.पी.ए.) ने मरीजों को राहत देते हुए 51 आवश्यक दवाओं के दाम 53 फीसदी तक की कटौती की है। इनमें कैंसर, दिल, दर्द और त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज में काम आने वाली दवाएं शामिल हैं। नियामक ने स्पष्ट किया है कि कोई भी दवा कंपनी निर्धारित कीमत से ज्यादा दाम नहीं वसूल सकती।

मरीजों को मिलेगी राहत 
एन.पी.पी.ए. समय-समय पर दवाओं का अधिकतम मूल्य निर्धारित करता है ताकि मरीजों को महंगी दवाइयां खरीदने से छुटकारा मिल सके। इस बारे में शुक्रवार को जारी अधिसूचना में नियामक ने कहा है कि उसने 13 फार्मूलेशन के अधिकतम दाम अधिसूचित कर दिए हैं जबकि 15 अन्य दवाओं के दाम में यह संशोधन किया जा रहा है। नियामक ने कहा कि कहा कि 23 आवश्यक दवाओं की खुदरा कीमतों को भी अधिसूचित किया गया है।

ये दवाएं हैं शामिल
बयान में कहा गया है कि जिन दवाओं के दामों का अधिकतम मूल्य तय किया गया है उनमें कोलोन या रेक्टल कैंसर के इलाज में काम आने वाली दवा ओक्सालिप्लेटिन (इंजेक्शन 100 एमजी), जापानी बुखार के इलाज में काम आने वाली दवा और मीजल्स रूबेला वैक्सीन अनेस्थेसिया में काम आने वाली अने‍स्थेटिक सेवोफ्लूरेंस, फाइटोमेनाडिओन और टीवी की रोकथाम में काम आने वाली बीसीजी वैक्सीन शामिल हैं। वहीं, मलेरिया में काम आने वाली क्लोरोक्वीन, बैक्टीरियल इनफेक्शन में काम आने वाली कोफ्रियॉक्सिन, दर्द में काम आने वाली मॉर्फिन, ग्लूकोज इंजेक्शन और हार्ट डिजीज में काम आने वाली फ्यूरोसेमाइड भी शामिल हैं। जानकारों का मानना है कि नियामक के इस फैसले से मरीजों को काफी हद तक राहत मिलेगी।

अब तक घटे 874 दवाओं के दाम
नियामक ने अधिसूचना में कहा कि ड्रग्स (मूल्य नियंत्रण) संशोधित आदेश-2013 के तहत 53 दवाओं की कीमतें छह से 53 फीसदी तक घटाई गई हैं। नियामक ने राष्ट्रीय आवश्यक दवा सूची 2015 के तहत अब तक 874 दवाओं के दाम घटाए हैं। सितम्बर, 2017 तक नियामक 821 दवाओं के दाम निर्धारित कर चुका है।

ज्यादा कीमत नहीं ले सकते मैन्युफैक्चरर्स
नियामक ने कहा है, "मैन्युफैक्चरर्स तय कीमत से ज्यादा नहीं ले सकते हैं। अगर कंपनियां सीलिंग प्राइस और रूल्स का पालन नहीं करती हैं तो उन्हें वसूली गई एक्स्ट्रा कीमत ब्याज समेत जमा करानी पड़ेगी। कंपनियों को इन दवाओं की कीमतों में साल में 10% तक की ही बढ़ोतरी करने की इजाजत होगी।"

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