Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Oct, 2017 12:43 PM
जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम ने कार का रंग बदरंग होने पर कार निर्माता कंपनी तथा विक्रेता को आदेश दिए हैं ...
नई दिल्लीः जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम ने कार का रंग बदरंग होने पर कार निर्माता कंपनी तथा विक्रेता को आदेश दिए हैं कि वह पीड़ित उपभोक्ता को पहुंची मानसिक क्षति व हानि के लिए 50,000 रुपए का मुआवजा प्रदान करें। इसके अलावा वह बदरंग हुई कार को भी पुन: पेंट कराएं। 45 दिनों में आदेश की अनुपालना न करने पर निर्माता व विक्रेता को 25,000 रुपए अतिरिक्त रूप से उपभोक्ता को प्रदान करने पड़ेंगे।
क्या है मामला
गांव असावटा निवासी नरवीर सिंह ने 27 नवम्बर, 2015 को 6,35,831 रुपए का भुगतान करके पलवल के थर्टी सिक्स ऑटो मोबाइल प्राइवेट लिमिटेड से कार इटियोस लीवा जीडी एम खरीदी थी। कुछ दिन बाद ही कार का पेंट उतरने लगा। इसकी शिकायत विक्रेता से की गई तथा उसे फोटोग्राफ भी उपलब्ध कराए गए। आश्वासन देने के बावजूद समस्या का हल नहीं किया गया। उपभोक्ता ने ऑनलाइन शिकायत भी की, लेकिन समस्या जस की तस रही। कानूनी नोटिस का भी प्रतिवादियों पर कोई असर नहीं हुआ। परेशान होकर उपभोक्ता ने जिला उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया। फोरम के समक्ष निर्माता कंपनी ने कहा कि उनका सही नाम टोयटा किर्लोस्कर मोटर प्राइवेट लिमिटेड है तथा उनका पंजीकृत कार्यालय कर्नाटक के रामनगर में है। उन्होंने शिकायत को आधारहीन बताते हुए इसे खारिज करने की मांग की।
यह कहा फोरम ने
फोरम के अध्यक्ष जगवीर सिंह तथा सदस्या खुशविन्द्र कौर ने अपने निर्णय में कहा कि साक्ष्यों के आधार पर यह साफ हो गया है कि कार खरीदने के एक वर्ष के भीतर ही उसका बाहरी रंग फीका पडऩे लगा। शिकायत भी वारंटी पीरियड में की गई थी। उनके अनुसार कार निर्माता कम्पनी एक प्रसिद्ध कम्पनी है। 6 महीने में ही रंग खराब हो जाने की ऐसी कंपनी से उम्मीद नहीं की जा सकती। कार के विज्ञापन में तो उपभोक्ताओं को चांद दिखाने का वायदा किया जाता है। भारी राशि खर्च करके वारंटी पीरियड में ही रंग खराब होना उपभोक्ताओं को परेशान कर देता है। फोरम का यह भी कहना था कि कार को बदला नहीं जा सकता।