मजबूत रुपया निर्यात के लिए चुनौती, वैश्विक मांग बढ़ने से कम होगा प्रभाव

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Aug, 2017 05:00 PM

challenges for strong rupee exports global demand will be lower than rising

रुपये में इस साल हुई भारी बढ़त से यद्यपि निर्यात के ...

नई दिल्ली : रुपये में इस साल हुई भारी बढ़त से यद्यपि निर्यात के समक्ष चुनौती खड़ी होगी लेकिन वैश्विक मांग, जिसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव जैसे अन्य कारकों से यह प्रभाव कम हो सकता है। डीबीएस के एक अध्ययन में यह बात कही गई है। इस साल डॉलर के मुकाबले रुपया 6 फीसदी  से भी अधिक चढ़ा है। 

दो साल का उच्च स्तर पर है रुपया 
रुपये में लगातार छह साल तक आई गिरावट के बाद यह वृद्धि दर्ज की गई है। डीबीएस ने अपने एक शोध पत्र में कहा, ‘‘डॉलर के मुकाबले रुपये में इस साल अब तक 6.8 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है जो दो साल का उच्च स्तर है। रुपया इस साल अब तक क्षेत्रीय स्तर पर सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाली मुद्रा रही है।’’

महंगाई के लिए एक सकारात्मक पक्ष 
रिर्पोट में कहा गया है कि मजबूत मुद्रा महंगाई के लिए एक सकारात्मक पक्ष है क्योंकि यह आयात को सस्ता कर देती है लेकिन निर्यात या विनिर्माण वृद्धि के मामले में यह एक चुनौती की तरह काम करता है। यह निर्यात आय और सूचना प्रौद्योगिकी निर्यात को नुकसान पहुंचाने वाली स्थिति है क्योंकि इससे लाभ का माजन कम हो जाता है। रिर्पोट के अनुसार इससे बढ़ते संरक्षणवाद और श्रम आवाजाही की मुश्किल होती स्थिति से चुनौती और बढ़ सकती है,  इसके अलावा रुपये की मजबूती से देश को एक मजबूत विनिर्माण स्थल बनाने के लक्ष्य पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

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