Edited By ,Updated: 12 Feb, 2017 05:30 PM
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि सरकार को सुस्ती पड़ी अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए अप्रत्यक्ष करों में तुरंत कटौती करनी चाहिए। चिदंबरम ने 2017-18 के बजट को लक्ष्यविहीन और दिशाहीन बताया है।
नई दिल्लीः पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि सरकार को सुस्ती पड़ी अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए अप्रत्यक्ष करों में तुरंत कटौती करनी चाहिए। चिदंबरम ने 2017-18 के बजट को लक्ष्यविहीन और दिशाहीन बताया है।
चिदंबरम का कहना है कि नोटबंदी का देश की अर्थव्यवस्था पर काफी गंभीर असर पड़ा है। इसकी वजह से वर्ष 2016-17 में भारतीय की जी.डी.पी. वृद्धि पर बुरा असर पड़ा है, इसके साथ ही अगले वित्त वर्ष 2017-18 में भी इसका असर रहेगा और 2018-19 के शुरूआती कुछ हिस्से में भी नोटबंदी का असर रहेगा। उन्होंने कहा कि युवाआें के लिए रोजगार नहीं होना विस्फोटक साबित हो सकता है, छोटी से चिंगारी भी इसे बड़े विस्फोट में बदल सकती है। उनके मुताबिक यह एेसी स्थिति है जो भीतर ही भीतर चुपचाप वार कर रही है।
चिदंबरम ने पिछले दो दशक के दौरान 9 केन्द्रीय बजट पेश किए हैं। उन्होंने कहा कि आखिर इस बजट का उद्देश्य क्या है? यह बजट उद्देश्यविहीन और दिशाहीन बजट लगता है। चिदंबरम ने कहा, ‘‘कभी आप आर्थिक वृद्धि का पीछा करते हैं, कभी आप वित्तीय और मौद्रिक स्थायित्व की बात करते हैं और कभी सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था में वृद्धि को बढ़ावा देने पर जोर होता है।’’ उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री अरुण जेतली ने नोटबंदी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने का मौका गंवा दिया। ‘‘वह (अप्रत्यक्ष करों में कटौती) अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के मामले में प्रयोग किया गया और साबित हुआ तरीका है। वह सभी करों में आसानी 4 से 8 प्रतिशत तक कटौती कर सकते थे।’’