Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Oct, 2017 03:45 PM
आपकी सुरक्षा का वायदा करने वाली बीमा कम्पनियां क्लेम देने में उपभोक्ताओं को कितने
लखनऊ: आपकी सुरक्षा का वायदा करने वाली बीमा कम्पनियां क्लेम देने में उपभोक्ताओं को कितने चक्कर लगवाती हैं इसका उदाहरण उपभोक्ता अदालत में देखा जा सकता है। एक बीमा कम्पनी ने पिता को अपने मृत बेटे की मोटरसाइकिल का क्लेम देने में 7 साल लगा दिए। बार-बार कंपनी के चक्कर काटने के बाद जब पिता ने जिला उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया तब जाकर उन्हें न्याय मिल सका।
मामले पर सुनवाई करते हुए फोरम ने एक महीने के अंदर पीड़ित पिता को क्लेम का 1 लाख रुपए 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ, 5000 रुपए मानसिक प्रताडऩा का और 5000 रुपए सुनवाई में खर्च देने का आदेश कम्पनी को सुनाया। वहीं फोरम की ओर से यह भी आदेश दिया कि अगर भुगतान एक माह के भीतर नहीं होता है तो कम्पनी को 12 प्रतिशत वाॢषक ब्याज दर भुगतान करना होगा।
क्या है मामला
लखनऊ निवासी मृतक पंकज जैन ने 7 जून 2010 में एक मोटरसाइकिल खरीदी थी। जिसका बीमा उसने पर्सनल एक्सीडैंट पॉलिसी के तहत एक साल के लिए करवाया था। 8 अगस्त 2010 को मोटरसाइकिल से खुर्रम नगर से हनुमान सेतु की ओर जाते हुए पंकज जैन की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। इसके बाद उसके पिता राजेंद्र जैन ने बीमा कम्पनी की पॉलिसी के तहत एक लाख रुपए क्लेम की मांग की लेकिन कम्पनी की ओर से मना किए जाने के बाद उपभोक्ता ने मजबूर होकर उपभोक्ता फोरम में अपील की।
क्या कहा फोरम ने
उपभोक्ता फोरम में कम्पनी ने दलील दी कि पीड़ित ने कोई दस्तावेज दाखिल नहीं किए और न तो क्लेम पर हस्ताक्षर किए। यहां तक कि कम्पनी ने सड़क दुर्घटना में क्षतिग्रस्त गाड़ी को बीमा वाली गाड़ी मानने से ही इंकार कर दिया। इसके बाद उपभोक्ता फोरम में जांच के बाद कम्पनी की सभी दलीलें झूठी साबित हुईं और फोरम ने कम्पनी को फटकार लगाते हुए उसे उक्त जुर्माना देने का आदेश दिया।