Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Dec, 2017 11:12 AM
उन उपभोक्ता वस्तुओं पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों में कमी में अभी वक्त लग सकता है, जो 28 प्रतिशत कर के दायरे में आते हैं। सरकार को राजस्व संग्रह में कमी की चिंता सता रही है, जिस पर इस समय जोर है।
नई दिल्लीः उन उपभोक्ता वस्तुओं पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों में कमी में अभी वक्त लग सकता है, जो 28 प्रतिशत कर के दायरे में आते हैं। सरकार को राजस्व संग्रह में कमी की चिंता सता रही है, जिस पर इस समय जोर है। चालू वित्त वर्ष खत्म होने में करीब 3 महीने ही बचे हैं, ऐसे में जनवरी में प्रस्तावित जीएसटी परिषद की अगली बैठक में 28 प्रतिशत कर दायरे में बदलाव की संभावना कम नजर आ रही है।
नवंबर में हुई जीएसटी परिषद की बैठक में 200 से ज्यादा वस्तुओं पर कर घटा दिया गया था, जिससे उम्मीद की जा रही है कि अगली बैठक में सबसे ज्यादा 28 प्रतिशत कर दायरे में आने वाले घरेलू सामान को इस दायरे से बाहर किया जा सकता है वहीं अधिकारियों का कहना है कि जनवरी में होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक मेंं दरें कम किए जाने पर चर्चा नहीं होगी और चर्चा का मुख्य विषय राजस्व संग्रह में स्थिरता लाना होगा। वित्त सचिव हसमुख अढिय़ा ने राज्यों व केंद्र के अधिकारियों से कहा है कि वे पहले 5 महीने में हुए कर संग्रह की समीक्षा करें।
राजस्व संग्रह में आई कमी की वजह से जीएसटी परिषद की बैठक में ई-वे बिल लागू किए जाने की तिथि में बदलाव किया गया, जो 1 जून 2018 से लागू करने का फैसला किया था। इसका मकसद राजस्व चोरी को रोकना और इसका प्रवर्तन कड़ाई से लागू करना है। इस बिल को एक राज्य से दूसरे राज्य में सामान ले जाने पर 1 फरवरी 2018 से लागू किया जाएगा। ईवाई के विपिन सप्रा ने कहा, 'जीएसटी के दौर में राजस्व संग्रह में उतार चढ़ाव है और अभी इसे स्थिर होना है। बदलाव का असर जांचने के लिए सरकार अभी कुछ और वक्त ले सकती है।'