बॉलवॉर्म की चपेट में कपास की खेती, घट सकता है उत्पादन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Mar, 2018 10:59 AM

cotton production can be reduced due to ballwarm

कपास के सबसे बड़े उत्पादक देश भारत में इसकी खेती पिंक बॉलवार्म की चपेट में तबाह हो रही है, जिसके कारण 2018-19 सीजन के दौरान इसका उत्पादन 12 फीसदी घट सकता है।

नई दिल्लीः कपास के सबसे बड़े उत्पादक देश भारत में इसकी खेती पिंक बॉलवार्म की चपेट में तबाह हो रही है, जिसके कारण 2018-19 सीजन के दौरान इसका उत्पादन 12 फीसदी घट सकता है।

भारत में करीब 95 फीसदी खेती अनुवांशिक रूप से संर्वद्धित कपास (जीएम या बीटी) की होती है और भारतीय बीज कंपनियां अमेरिका की प्रमुख जैव प्रौद्योगिकी कंपनी मोन्सैंटो की पेटेंट तकनीक के माध्यम से जीएम कपास के बीजों का उत्पादन करती हैं और इसके लिए उन्हें अमेरिकी कंपनी को रॉयल्टी देनी होती है। जीएम कपास के बारे में कंपनी का यह दावा था कि इसकी फसल अमेरिकन, स्पॉटेड और पिंक बॉलवार्म से तबाह नहीं होती। लेकिन, भारत में पिंक बॉलवॉर्म का कहर इस तरह हावी हो गया है कि किसान कपास की खेती छोड़कर दूसरी फसल उगाने पर ध्यान दे रहे हैं।

पिंक बॉलवॉर्म के कारण कपास की खेती का रकबा घटने की आशंका है,जिससे भारतीय निर्यात पर असर पड़ेगा। निर्यात कम होने की स्थिति में वैश्विक बाजार में कपास की कीमत बढ़ जायेगी,जो अभी ही दो साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी है। भारत मुख्य रूप से पाकिस्तान, बंगलादेश ,चीन और विएतनाम को कपास का निर्यात करता है। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अतुल गनात्रा ने बताया कि महाराष्ट्र और तेलंगाना में पिंक बॉलवार्म के कारण कपास के रकबा घट सकता है। इन राज्यों के कई किसान कपास की जगह सोयाबीन की खेती को तरजीह दे सकते हैं। पिंक बॉलवार्म के कारण किसानों का कीटनाशक पर खर्च कई गुणा बढ़ गया है। वर्ष 2018-19 में कपास का रकबा 108 लाख  हेक्टेयर हो सकता है जबकि चालू सीजन में 120 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि में इसकी बुवाई हुई है। 
 

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