Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Dec, 2017 11:20 AM
बिल्डरों की मनमानी रोकने के लिए देशभर में रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) भले ही लागू हो गया हो लेकिन अभी भी कुछ बिल्डर मनमानी कर रहे हैं। इसकी वजह रेरा अपीलीय न्यायाधिकरण का पूरी तरह लागू न होना है। कॉन्फेडेरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स...
नई दिल्लीः बिल्डरों की मनमानी रोकने के लिए देशभर में रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) भले ही लागू हो गया हो लेकिन अभी भी कुछ बिल्डर मनमानी कर रहे हैं। इसकी वजह रेरा अपीलीय न्यायाधिकरण का पूरी तरह लागू न होना है। कॉन्फेडेरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशंस ऑफ इंडिया (क्रेडाई) ने सरकार से यह न्यायाधिकरण बनाने की मांग की है। रियल एस्टेट उद्योग की संस्था क्रेडाई ने गृह एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी से मांग की कि रेका न्यायधिकरण बनाए जाने की जरूरत है।
क्रेडाई ने पुरी को लिखे पत्र में कहा कि इस कानून को लेकर विभिन्न राज्यों में असमानता है। जैसे महाराष्ट्र ने न्यायाधिकरण तो नहीं बनाया है, लेकिन नए मापदंड बना दिए हैं। पश्चिम बंगाल जैसे कई राज्य अभी तक जूझ रहे हैं। इस कारण कई प्रकार की देरी हो रही है और राज्य एवं केंद्र सरकारों को राजस्व नुकसान भी हो रहा है। क्रेडाई ने न्यायाधिकरण की जरूरत बताते हुए कहा कि इससे विभिन्न पक्षों के बीच विवाद सुलझाने में मदद मिलेगी। के लिए उच्च अदालतों की भागीदारी को घटाया जा सकेगा।