पैट्रो ईंधनों पर तेल मार्कीटिंग कंपनियों की अंडर रिकवरी 61.87% घटी

Edited By ,Updated: 20 Sep, 2016 02:39 PM

crude oil rti

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम गिरने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की तेल मार्कीटिंग कंपनियों की अंडर रिकवरी (पैट्रोलियम ईधनों के बाजार मूल्यों

इंदौर: अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम गिरने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की तेल मार्कीटिंग कंपनियों की अंडर रिकवरी (पैट्रोलियम ईधनों के बाजार मूल्यों और इनकी सरकार नियंत्रित बिक्री कीमतों के बीच का अंतर) में वित्तीय वर्ष 2015-16 के दौरान करीब 61.87 प्रतिशत की बड़ी कमी दर्ज की गई है।

मध्यप्रदेश के नीमच निवासी सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ को सूचना के अधिकार (आर.टी.आई.) के तहत यह जानकारी मिली है। गौड़ ने बताया कि उनकी आर.टी.आई. अर्जी पर पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की आेर से बताया गया कि 31 मार्च को खत्म वित्तीय वर्ष 2015-16 में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत प्रदान किए जाने वाले केरोसीन और घरेलू रसोई गैस पर तेल मार्कीटिंग कंपनियों की कुल अंडर रिकवरी 27,570 करोड़ रुपए की रही। इसके एवज में सरकार ने इन कंपनियों को 26,301 करोड़ रुपए की वित्तीय मदद की।  

आर.टी.आई. अर्जी के जवाब में यह भी बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2014-15 में डीजल, पी.डी.एस. के केरोसीन और घरेलू रसोई गैस पर तेल मार्कीटिंग कंपनियों की कुल अंडर रिकवरी 72,314 करोड़ रुपए के स्तर पर रही थी। इसके बदले सरकार ने इन कंपनियों को 27,308 करोड़ रुपए की वित्तीय मदद की।

सरकार ने डीजल की कीमतों को अपने नियंत्रण से 19 अक्तूबर 2014 को मुक्त कर दिया था, जबकि पैट्रोल के मूल्यों पर से 26 जून 2010 को सरकारी नियंत्रण हटा लिया गया था। जानकारों के मुताबिक तेल मार्कीटिंग कंपनियों की अंडर रिकवरी घटने का सबसे बड़ा कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों मेें कमी आना है। घरेलू रसोई गैस पर मिलने वाली सबसिडी की प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डी.बी.टी.) योजना और लाखों लोगों के स्वेच्छा से यह सबसिडी छोडऩे से भी इन कंपनियों पर अंडर रिकवरी का बोझ घटा है।

आर.टी.आई. अर्जी पर पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के जवाब के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2013-14, 2012-13 और 2011-12 में तेल मार्कीटिंग कंपनियों की अंडर रिकवरी क्रमश: 1,39,869 करोड़ रुपए, 1,61,029 करोड़ रुपए और 1,38,541 करोड़ रुपए रही थी। इसके बदले सरकार ने इन कंपनियों को क्रमश: 70,772 करोड़ रुपए, 1,00,000 करोड़ रुपए और 83,500 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता दी थी।

 

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