Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 May, 2017 05:55 PM
इलैक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत कार्यरत कॉमन सर्विस सेंटर (सी.एस.सी.) देश में एक जुलाई से लागू होने जा रहे वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) के कार्यान्वयन में सुविधा प्रदाता के रूप में काम करेंगें।
नई दिल्लीः इलैक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत कार्यरत कॉमन सर्विस सेंटर (सी.एस.सी.) देश में एक जुलाई से लागू होने जा रहे वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) के कार्यान्वयन में सुविधा प्रदाता के रूप में काम करेंगें। शीर्ष ग्राम स्तरीय उद्यमियों (वीएलई) को प्रशिक्षित करने और सी.एस.सी. के माध्यम से ग्रामीण भारत में जी.एस.टी. के कार्यान्वयन को सक्षम बनाने के लिए जी.एस.टी. सेवा प्रदाता के रूप में सी.एस.सी. विषय पर यहां आयोजित कार्यशाल में देश में कार्यरत सी.एस.सी. को जी.एस.टी. सुविधा प्रदाता के रूप में प्रस्तावित किया गया।
सी.एस.सी. व्यापारियों को पंजीकरण की मदद करने के साथ ही रिटर्न दाखिल करने तथा जी.एस.टी. के तहत विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति में मदद करेगा। ये देश भर में जी.एस.टी. के कार्यान्वयन से संबंधित प्रशिक्षण आयोजित करेगा। इलैक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसका उद्घाटन करने के दौरान कहा कि ग्राम स्तर के उद्यमी डिजिटल भारत के लिए रैपिड एक्शन फोर्स हैं और ये भारत में डिजिटल क्रांति के अग्रदूत बन सकते हैं तथा आर्थिक रूप से समावेशी डिजिटल समाज का निर्माण कर सकते हैं।
भारत डिजिटल क्रांति के अवसर को छोडऩा नहीं चाहता है बल्कि इसका लक्ष्य इस क्रांति का अगुवा बनना है और इसमें सी.एस.सी. मदद करेगा। उन्होंने कहा कि ग्रामीण स्तर पर सभी सुविधाएं प्रदान करने के लिए वीएलई सरकार की रणनीति के महत्वपूर्ण घटक है और वह दिन दूर नहीं जब दूर-दराज के ग्राहकों तक पहुंचने के लिए निजी उद्यमी सी.एस.सी. की तरफ रूख करेंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 2,50,000 सी.एस.सी. के माध्यम से लगभग दस लाख लोगों को रोजगार मिल हुआ रहा है और यह आंकड़ा भविष्य में 25 लाख तक जा सकता है क्योंकि निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों में सेवाओं का विस्तार होगा।