ग्राहकों को न्यूनतम बैलेंस शुल्क से मिल सकती राहत, SBI कर रही विचार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Sep, 2017 06:21 PM

customers can get relief from minimum balance fees  sbi thinking

सार्वजनिक क्षेत्र के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एस.बी.आई.) ने कहा कि वह उपभोक्ताओं की प्रक्रिया

मुंबईः सार्वजनिक क्षेत्र के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एस.बी.आई.) ने कहा कि वह उपभोक्ताओं की प्रक्रिया मिलने के बाद मासिक औसत बैलेंस बरकरार नहीं रखने पर लगने वाले शुल्क की समीक्षा कर रहा है। बैंक के प्रबंध निदेशक (राष्ट्रीय बैंकिंग समूह) रजनीश कुमार ने कहा कि हमें इस संबंध में उपभोक्ताओं की प्रतिक्रियाएं मिली हैं और हम उनकी समीक्षा कर रहे हैं। बैंक उन्हें ध्यान में रखते हुए उचित निर्णय लेगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम आंतरिक विमर्श कर रहे हैं कि क्या वरिष्ठ नागरिकों या विद्याॢथयों जैसे उपभोक्ताओं की कुछ निश्चित श्रेणी के लिए शुल्क में सुधार की जानी चाहिए या नहीं। ये शुल्क कभी भी पत्थर की लकीर नहीं होते हैं।’’ एस.बी.आई. ने पांच साल के अंतराल के बाद इस साल अप्रैल में मासिक औसत बैलेंस बरकरार नहीं रखने पर शुल्क को फिर से लागू किया था। इसके तहत खाते में मासिक औसत नहीं रख पाने पर 100 रुपए तक के शुल्क और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का प्रावधान किया गया था। शहरी इलाकों में मासिक औसत बैलेंस पांच हजार रुपये तय किया गया था। इसके 50 प्रतिशत कम हो जाने पर 50 रुपए और जीएसटी का तथा 75 प्रतिशत कम हो जाने पर 100 रुपए और जी.एस.टी. का प्रावधान था।

ग्रामीण इलाकों के लिए मासिक औसत बैलेंस 1000 रुपए तय किया गया था तथा इससे बरकरार नहीं रखने पर 20 से 50 रुपए और जी.एस.टी. का प्रावधान किया गया था।  कुमार ने कहा कि बैंक के पास 40 करोड़ से अधिक बचत खाते हैं। इनमें से 13 करोड़ बैंक खाते बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट या प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत हैं। इन दोनों खातों को मासिक औसत बैलेंस की शर्त से बाहर रखा गया था। उन्होंने कहा कि शेष 27 करोड़ खाताधारकों का 15-20 प्रतिशत मासिक औसत बैलेंस मेंटेन नहीं करते हैं। बैंक ने मई महीने के लिए मासिक औसत बैलेंस की शर्त को लेकर 235 करोड़ रुपये का शुल्क वसूला था। 

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