मुद्रास्फीति कम रहने से ब्याज दरों में कटौती की मांग उठी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Jun, 2017 07:24 PM

demand for reduction of interest rates came down due to lower inflation

मई में मुद्रास्फीति के 5 माह के निचले स्तर 2.17 प्रतिशत पर आ जाने के चलते भारतीय उद्योग जगत ने भारतीय रिजर्व बैंक से ब्याज दरों में कटौती की मांग की है। उनका कहना है कि रोजगार सृजन के लिए निवेश को बढ़ाने की जरूरत है।

नई दिल्लीः मई में मुद्रास्फीति के 5 माह के निचले स्तर 2.17 प्रतिशत पर आ जाने के चलते भारतीय उद्योग जगत ने भारतीय रिजर्व बैंक से ब्याज दरों में कटौती की मांग की है। उनका कहना है कि रोजगार सृजन के लिए निवेश को बढ़ाने की जरूरत है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले महीनों में कीमतों में कमी आएगी। उद्योगों ने सरकार से यह भी कहा है कि वह निवेश, पूंजी उपयोग और औद्योगिक उत्पाद में वृद्धि को प्राथमिकता देते हुए अनुकूल वातावरण तैयार करे।

उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष पंकज पटेल ने कहा, "मेरा मानना है कि वृद्धि को मिलने वाला समर्थन मजबूत हो रहा है और हमें उम्मीद है कि रिजर्व बैंक अपनी मौद्रिक नीति पर दोबारा गौर करेगा और इसे (महंगाई के आंकड़ों को देखते हुए) नए स्वरूप में देखेगा।" इसी प्रकार एसोचैम को उम्मीद है कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) भी नीचे आएगी क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्विक अस्थिरता, बढ़ते संरक्षणवाद और चीनी अर्थव्यवस्था में आई मंदी से प्रभाव पड़ेगा और इससे भारत की बाहरी मांग प्रभावित होगी।  

एसोचैम के अध्यक्ष संदीप जजोडिया ने कहा कि निजी निवेश को अभी भी कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है जैसे कि कारपोरेट ऋण का बढऩा और वित्तीय क्षेत्र का दबाव में रहना जहां फंसा कर्ज लगातार बढ़ रहा है। इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि जून 2017 में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति में रिकॉर्ड 2 प्रतिशत की कमी आने की उम्मीद है जिसके पीछे अहम कारण खाद्य और जिंसों की कीमत में कमी आना है। 
 

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