Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Aug, 2017 03:07 PM
डिजिटल मनी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए एक ओर जहां बैंकों ने...
नई दिल्ली : डिजिटल मनी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए एक ओर जहां बैंकों ने नए एटीएम लगाने की योजना पर रोक लगा दी है वहीं बैंकों के इस फैसले सिस्टम में बोझ बढ़ गया है, क्योंकि इसके चलते ग्राहकों को कैश निकालने के लिए पहले से ज्यादा बार दूसरे बैंकों के एटीएम पर जाना पड़ रहा है और डेबिट कार्ड का प्रयोग पहले से काफी बढ़ गया है।
नोटबंदी के बाद बढ़ा ट्रेंड
एनपीसीआई और आरबीआई के डेटा के मुताबिक, पिछले छह महीने से इस ट्रेंड ने जोर पकड़ा है। नोटबंदी से पहले 40 पर्सेंट ग्राहक दूसरे बैंक का एटीएम यूज किया करते थे, जो बाद में बढ़कर लगभग 55 पर्सेंट हो गया। बैंकर्स का कहना है कि इससे बैंकों को ज्यादा इंटरचेंज फीस चुकानी पड़ रही है। चालू एटीएम की संख्या पहले से कम हो गई है। जून में कुल 66 करोड़ डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शन हुए थे, जिनमें से ग्राहकों ने 37 करोड़ ट्रांजैक्शन के लिए दूसरे बैंक के एटीएम का इस्तेमाल किया जो 56 पर्सेंट के बराबर है। जनवरी और अप्रैल में भी कुछ ऐसा ही हुआ था।अगर ट्रेंड की तुलना नोटबंदी से महीने भर पहले अक्टूबर 2016 के डेटा से करें तो उस महीने कुल 80.2 करोड़ एटीएम ट्रांजैक्शन हुए थे। कस्टमर्स 52 पर्सेंट ट्रांजैक्शन अपने बैंक के एटीएम से करते पाए गए जबकि दूसरे बैंकों के एटीएम यूज करनेवालों का पर्सेंटेज 48 रहा।
इस कारण हुई बढ़ोत्तरी
एटीएम मार्केट में प्राइवेट बैंकों के बीच एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और सरकारी बैंकों में एसबीआई का दबदबा है। इससे छोटे पब्लिक सेक्टर बैंकों के बहुत से ग्राहक दूसरे बैंकों के एटीएम के जरिए ज्यादा ट्रांजैक्शन कर रहे हैं। इसकी वजह नोटबंदी के बाद डेबिट कार्ड्स के इस्तेमाल में हुई बढ़ोतरी है।