डिजिटलीकरण, ऋण मांग बढ़ाने का एजेंडा रह गया अधूरा: भट्टाचार्य

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Oct, 2017 09:06 AM

digitization  agenda for increasing credit demand remained incomplete

देश के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन पद से सेवानिवृत हुईं अरुंधति भट्टा...

नई दिल्लीः देश के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन पद से सेवानिवृत हुईं अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा कि वह अपने पीछे दो एजेंडे- डिजिटलीकरण और ऋण मांग में वृद्धि को छोड़कर जा रही हैं। बैंक के 214 वर्ष के इतिहास में वह पहली महिला चेयरमैन थीं। 4 साल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद कल वह सेवानिवृत्त हो गईं।
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डिजिटलीकरण में की काफी प्रगति
मीडिया से अंतिम बार मुखातिब होते हुए भट्टाचार्य ने कहा, जिंदगी में ऐसा कोई पद नहीं है, जहां पहुंचकर कोई यह कह सके कि अब एजेंडा खत्म हो गया है। दरअसल, होता यह है कि आप एक एजेंडे से शुरू करते हैं और जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, आप इसमें जोड़ते जाते हैं।’’ हम डिजिटल मोर्चे पर कुछ देना चाहते थे जो कि वास्तव में अलग था और जुलाई में कुछ समय के लिए ऐसा हुआ भी। अब, इसमें थोड़ी देर हो गई है क्योंकि परियोजना का दायरा बढ़ गया है। जाहिर है कि यह अधूरा एजेंडा है, लेकिन यह मायने नहीं रखता क्योंकि हमने इस दिशा में काफी प्रगति की है।’’ भट्टाचार्य ने आगे कहा कि महत्वपूर्ण और बड़े कदम उठाए जाने के बावजूद बैंक की ऋण मांग वृद्धि ज्यादा बेहतर नहीं हो सकी। उन्होंने कहा, हालांकि, हमने जोखिम की निगरानी, प्रक्रियाओं में सुधार और अनुवर्ती प्रक्रियाओं को सुधारने के लिये हमने हर सभंव प्रयास किया। लेकिन उस समय हम ऋण वृद्धि को उस स्तर पर नहीं ला सके जहां हम चाहते थे। इसलिए यह भी एक अधूरा एजेंडा है।

पत्रकार बनना चाहती थीं अरुंधति
उन्होंने आगे कहा कि बैंक ने अच्छा, बुरा और उदासीन सभी दौर देंखे। यह रोचक के साथ-साथ बहुत ही मुश्किल यात्रा रही, लेकिन मझे लगता है कि हम इससे अच्छी तरह से बाहर निकल गए। एस.बी.आई. की पहली महिला चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य स्टेट बैंक के साथ प्रोबोशनरी ऑफिसर के रूप में जुडऩे के बाद 4 साल, एक महीने और दो दिन बाद सेवानिवृत्त हो गईं। एस.बी.आई. की उनकी यात्रा बैंक की मुख्य शाखा कलकत्ता से शुरू हुई और क्लाउड कम्प्यूटिंग के साथ खत्म हुई। सेवानिवृत्त के दिन उन्होंने अपनी लंबी पारी का जिक्र करते हुए कहा कि वह पत्रकार बनना चाहती थीं। उनके शिक्षक कहते थे कि वह संपादक-मटेरियल थी। वह बैंकिंग क्षेत्र में अपने प्रवेश को दुर्घटनावश’’ बताती है। लेकिन यह उनके लिए बुरा नहीं रहा है और एस.बी.आई. के शीर्ष तक गईं। बैंक के हर विभाग में अपनी छाप छोड़ने के बाद अब वह बैंकिंग और वित्त में पी.एच.डी. करने की योजना बना रही हैं।  

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