Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jun, 2017 09:24 AM
कम कमाई की वजह से किसान दलहन और तिलहन से दूरी बनाने लगे हैं। इस खरीफ सीजन में किसान तिलहन और दलहन की अपेक्षा कपास और मक्के जैसी अधिक लाभकारी फसलों
मुम्बई: कम कमाई की वजह से किसान दलहन और तिलहन से दूरी बनाने लगे हैं। इस खरीफ सीजन में किसान तिलहन और दलहन की अपेक्षा कपास और मक्के जैसी अधिक लाभकारी फसलों का रुख कर रहे हैं। मंडियों में कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे चलने के कारण तिलहन और दलहन के रकबे में गिरावट आने की संभावना है। दूसरी ओर, किसानों का गुस्सा भड़क रहा है क्योंकि सरकारी एजैंसियों द्वारा उनके उत्पाद नहीं लिए जा रहे हैं और व्यापारी भी जी.एस.टी. से पहले खरीदारी नहीं कर रहे हैं। मंद बुआई के कारण 2017-18 (जुलाई-जून) की मांग आपूॢत में नए सिरे से सामंजस्य स्थापित हो सकता है।
कपास और मक्के के रकबे में हो सकती है बढ़ौतरी
भारत अपने खाद्य तेल के 55 प्रतिशत (1.4 करोड़ टन) और दलहन के 25 प्रतिशत (55 लाख टन) भाग के लिए आयात पर निर्भर रहता है। अगर कमाई के नजरिये से देखें तो इसके मद्देनजर कपास और मक्के के रकबे में बढ़ौतरी हो सकती है। हालांकि अगले सीजन में इससे कीमतों में गिरावट आ जाएगी। किसानों के राष्ट्रव्यापी असंतोष ने खरीफ की बुआई को प्रभावित किया है। महाराष्ट्र में पिछले साल की तुलना में 1.1 प्रतिशत के क्षेत्र में ही बुआई हुई है।
कुछ दिनों में बुआई में तेजी आने की संभावना
सामान्य मॉनसून के पूर्वानुमान की वजह से अगले कुछ दिनों में बुआई में तेजी आने की संभावना है। कोटक कमोडिटी सॢवसिज के उपाध्यक्ष अरङ्क्षबदो प्रसाद ने कहा कि पिछले साल मूंगफली, अरहर और सोयाबीन की तुलना में कपास व मक्का से बेहतर कीमत प्राप्त हुई है। किसान ऐसी लाभकारी फसलों का रुख कर सकते हैं। रिकॉर्ड उत्पादन के कारण दलहन और तिलहन के दाम दबाव में रहे हैं। ऊंचे न्यूनतम समर्थन मूल्य के जरिये सरकार द्वारा भी किसानों को इनकी अधिक खेती के लिए आकॢषत किया गया था।