Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Oct, 2017 11:47 AM
एक दिव्यांग को रिजर्वेशन होने के बावजूद वापी से जबलपुर तक की यात्रा जनरल कोच में जमीन
जबलपुर: एक दिव्यांग को रिजर्वेशन होने के बावजूद वापी से जबलपुर तक की यात्रा जनरल कोच में जमीन पर बैठकर पूरी करनी पड़ी। इस असुविधा के कारण उसका स्वास्थ्य भी खराब हो गया। कंज्यूमर फोरम ने रेल यात्री के साथ सेवा में कमी के इस रवैये को आड़े हाथों लिया। इसी के साथ मुख्य वाणिज्य प्रबंधक पश्चिम रेलवे, मंडल रेल प्रबंधक वाणिज्य पश्चिम रेलवे और मुख्य वाणिज्य प्रबंधक (टी.सी.) जबलपुर पर 10,000 रुपए का जुर्माना लगा दिया। मानसिक पीड़ा के एवज में इस जुर्माना राशि के अलावा टिकट की राशि 144 रुपए और 3000 रुपए मुकद्दमे का खर्च भी भुगतान करने को कहा गया है।
क्या था मामला
शिकायतकर्ता चंद्रा जैन जबलपुर निवासी है। 23 फरवरी, 2010 को उसने वापी से जबलपुर लौटने का आरक्षण 8 मार्च, 2010 के लिए करवाया था। शिकायतकत्र्ता के साथ ही सफर करने वाले एक अन्य व्यक्ति को कन्फर्म टिकट रेलवे द्वारा प्रदान किया गया। 67 वर्षीय वृद्धा चंद्रा जैन 40 प्रतिशत विकलांग होने के कारण अपने साथ एक सहायक एन.सी. जैन को भी ले जा रही थीं। कुल किराया 240 रुपए प्रदान किया गया। जब निर्धारित तिथि को प्लेटफार्म पहुंचीं तो वापी स्टेशन पर ट्रेन आने के 2 मिनट पहले यह घोषणा की गई कि ट्रेन में कोच नं. 15 नहीं लगाया गया है।
लिहाजा प्लेटफार्म में मौजूद टी.टी.ई. से जानकारी चाही गई, तब उसने अपनी असमर्थता व्यक्त की कि वह शिकायतकर्ता व उसके सहयोगी को किसी भी अन्य स्लीपर कोच में बर्थ आबंटित नहीं कर सकता। ऐसा इसलिए क्योंकि अन्य स्लीपर कोच में कोई भी सीट खाली नहीं है। जबलपुर पहुंचकर उसने इस बारे में स्टेशन मास्टर के कार्यालय में शिकायत दर्ज करवाई। जब कोई नतीजा नहीं निकला तो लीगल नोटिस भी भेजा गया।
यह कहा फोरम ने
फोरम के चेयरमैन सुनील कुमार श्रीवास्तव और सदस्य अर्चना शुक्ला तथा योमेश अग्रवाल की न्यायपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान शिकायतकत्र्ता की ओर से पक्ष रखा गया। रेलवे की ओर से बजाय मूल प्रश्न का उत्तर देने के बार-बार क्षेत्राधिकार का बिन्दु रेखांकित कर केस खारिज किए जाने पर बल दिया गया लेकिन फोरम ने रेलवे की आपत्ति को दरकिनार कर सुनवाई पूरी की। कोर्ट ने कन्फर्म रिजर्वेशन वाली टिकट के बावजूद यात्री को हुई परेशानी को सीधे तौर पर सेवा में कमी माना और उक्त जुर्माना सुनाया।