TII को अाशंका, ई-सिगरेट पर प्रतिबंध से बढ़ेगी तस्करी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Aug, 2017 05:15 PM

e cigarette ban will increase smuggling  tii

सिगरेट निर्माता कंपनियों के संगठन टोबैको इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (टी.आई.आई.) ने इलैक्ट्रॉनिक सिगरेट पर प्रतिबंध....

नई दिल्लीः सिगरेट निर्माता कंपनियों के संगठन टोबैको इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (टी.आई.आई.) ने इलैक्ट्रॉनिक सिगरेट पर प्रतिबंध लगाए जाने से इसकी तस्करी बढ़ने की आशंका व्यक्त की है। संगठन ने एक बयान जारी कर कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पर प्रतिबंध से इस तरह के ऐसे उत्पादों की तस्करी को बढ़ावा मिलेगा, जिनका स्रोत और गुणवत्ता मानक अज्ञात होगा। उसने कहा कि इससे भारत को उन देशों की तुलना में संरचनात्मक नुकसान होगा जहां इस श्रेणी के लिए PunjabKesariनियंत्रित नियामकीय नीति है।

इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट को किया जा रहा पसंद
आई.टी.सी., गॉडफ्रे फिलिप्स और वी.एस.टी. जैसी सिगरेट कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन टी.आई.आई. ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलीवरी सिस्टम्स (ई.एन.डी.एस.) को सामान्यत: इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट कहा जाता है और वैश्विक स्तर के साथ ही भारत में भी इसकी स्वीकार्यता बढ़ी है। उसने कहा, ‘‘ई.एन.डी.एस. के वैध कारोबार पर प्रतिबंध से इस श्रेणी के उत्पादों के अवैध कारोबार और भारी स्तर पर तस्करी का खतरा पैदा होगा। उन उत्पादों की गुणवत्ता और उनका स्रोत भी किसी को मालूम नहीं होगा।’’

क्या है इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट
टी.आई.आई. ने दावा किया कि इससे इन उत्पादों की बढ़ती घरेलू मांग की पूर्ति पूरी तरह से अवैध तरीके से होगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों का हवाला देते हुए संगठन ने कहा कि वर्ष 2015 में ई.एन.डी.एस. उत्पादों का वैश्विक बाजार करीब दस अरब डॉलर का था। उल्लेखनीय है कि एक तकनीकी समिति द्वारा शोध में ई-सिगरेटों को अंशत: जानलेवा पाए जाने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ई.एन.डी.एस. पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है। एक ई-सिगरेट बैटरी द्वारा चलित ऐसा उपकरण होता है जो तरल निकोटिन, प्रोपिलीन ग्लाइकोल, पानी, ग्लिसीरीन और फ्लेवर की मदद से सिगरेट पीने जैसा अनुभव देता है।    

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