Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Jun, 2017 07:21 PM
नीति आयोग का मानना है कि जहां तक नोटबंदी का सवाल है तो भारतीय अर्थव्यवस्था अब इसके प्रभाव से उबर चुकी है और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसमें सुधार दिखाई देगा।
नई दिल्लीः नीति आयोग का मानना है कि जहां तक नोटबंदी का सवाल है तो भारतीय अर्थव्यवस्था अब इसके प्रभाव से उबर चुकी है और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसमें सुधार दिखाई देगा। नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढिय़ा ने आज कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की कमजोर स्थिति में पिछले 3 साल में सुधार हुआ है और 8 प्रतिशत सतत् आर्थिक वृद्धि की स्थिति को अगले कुछ वर्ष में हासिल कर लिया जाएगा।
पनगढिय़ा का यह बयान एेसे समय आया है जबकि भारत ने दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का तमगा चीन से गंवा दिया है। बीते वित्त वर्ष की चौथी (जनवरी-मार्च) तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) की वृद्धि दर घटकर 6.1 प्रतिशत पर आ गई है। जनवरी-मार्च तिमाही में चीन की वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रही है। कोलंबिया विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र के पूर्व प्रोफेसर पनगढिय़ा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘जहां तक नोटबंदी का सवाल है हम काफी हद तक इसके प्रभाव से उबर चुके हैं। 2017-18 की पहली तिमाही में हम इसमें सुधार देखेंगे।’’
सरकार ने 9 नवंबर, 2016 को ऊंचे मूल्य के नोट बंद कर दिए थे जिससे करीब 87 प्रतिशत मुद्रा चलन से बाहर हो गई थी। इससे नकदी संकट की स्थिति पैदा हो गई थी जिससे आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई थीं। पनगढिय़ा ने कहा, ‘‘नरेंद्र मोदी सरकार को विरासत में कमजोर अर्थव्यवस्था मिली थी। चालू साल में हम 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेंगे और मेरा अनुमान है कि मौजूदा सरकार का कार्यकाल पूरा होने तक हम 8 प्रतिशत पर पहुंच जाएंगे। सरकार का कार्यकाल पूरा होने तक हम 8 प्रतिशत की सतत वृद्धि पर पहुंचेंगे।’’
विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन से भारत की वृद्धि दर 2016-17 में घटकर 3 साल के निचले स्तर 7.1 प्रतिशत पर आ गई है। 2015-16 में जी.डी.पी. की वृद्धि दर 8 प्रतिशत तथा इससे पिछले साल 7.5 प्रतिशत रही थी। पनगढिय़ा ने वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) तथा दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता को मोदी सरकार का सबसे बड़ा सुधार बताते हुए कहा कि 2016-17 में बुनियादी ढांचा क्षेत्र को रफ्तार मिली।
विपक्षी दलों के इन आरोपों कि सरकार रोजगार पैदा करने में विफल रही है, पनगढिय़ा ने कहा कि रोजगार पर बहस हवा में हो रही है। उन्होंने कहा, ‘‘श्रम ब्यूरो के आंकड़ों के साथ गंभीर समस्या है। रोजगार की स्थिति पर आंकड़ों की गणना के लिए उच्चस्तरीय कार्यबल की हाल में दो बैठकें हुई हैं।’’ नीति आयोग जुलाई तक राष्ट्रीय ऊर्जा योजना को अंतिम रूप देगा। उन्होंने कहा कि कोल इंडिया के कारोबार को विभिन्न इकाइयों में बांटने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और मूल्यों में पारदर्शिता आएगी।