किसानों की आय बढ़ाने के लिए सिंचाई, मधुमक्खी पालन पर जोर

Edited By ,Updated: 03 May, 2017 05:00 PM

emphasis on beekeeping  to increase the income of farmers

किसानों की आय 5 वर्ष में दोगुना करने की दिशा में सरकार ने कदम उठाने शुरू कर दिए हैं तथा उसका सबसे ज्यादा जोर उत्पादों का लाभकारी मूल्य दिलाने

नई दिल्लीः किसानों की आय 5 वर्ष में दोगुना करने की दिशा में सरकार ने कदम उठाने शुरू कर दिए हैं तथा उसका सबसे ज्यादा जोर उत्पादों का लाभकारी मूल्य दिलाने, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, ई-नाम, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, कृषि वानिकी एवं मधुमक्खी पालन पर है।  

कृषि मंत्रालय के सूत्रों ने आज बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, वर्षा जल संचय, सूक्ष्म सिंचाई योजना और ईनाम योजना के अच्छे परिणाम सामने आने लगे हैं और किसानों का इन योजनाओं के प्रति आकर्षण बढ़ा है। राज्य सरकारों के साथ मिलकर मृदा जांच अभियान चलाया गया और यह अंतिम चरण में पहुंच गया है। मधुमक्खी पालन में कम लागत और परागण से फसलों के उत्पादन में होने वाली वृद्धि के मद्देनजर इस योजना के बजट में भारी वृद्धि की गई है।  

पिछले 3 साल में उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पिछले साल खरीफ सीजन में शुरू की गई थी। देश में पहली बार फसलों के लगाने के पहले और कटाई के बाद प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए बीमा में उपयुक्त प्रावधान किए गए हैं। इस योजना में नुकसान के आंकलन के लिए दूर संवेदी प्रौद्योगिकी और मोबाइल एप्प का प्रयोग किया किया गया जिसके कारण दावे के भुगतान की अवधि पहले की तुलना में काफी कम हो गई।  

सरकार ने बीमा योजना के प्रति किसानों में बढ़ते आकर्षण को देखते हुए वर्ष 2017-18 में 40 प्रतिशत और 2018-19 में 50 प्रतिशत किसानों को इसके दायरे में लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। रबी फसलों लिए डेढ़ प्रतिशत और खरीफ के लिए 2 प्रतिशत प्रीमियम की दर रखी गई है जबकि बागवानी फसलों के लिए यह दर सालाना 5 प्रतिशत तय की गई है। ‘हर खेत को पानी ‘आदर्श वाक्य के साथ प्रधानमंत्री कृषि 2015-16 में की गई थी और इसके लिए वर्षों से लंबित बड़ी तथा मध्यम सिंचाई योजनाओं को पूरा करने के लिए बजट आवंटन किया गया था। इसके साथ ही वर्षा जल के संचय और सूक्ष्म सिंचाई योजनाओं के कार्यान्वयन पर जोर दिया गया। इसके अलावा जिला स्तर पर भी सिंचाई की योजनाएं तैयार की गई हैं।  

किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने और बिचौलियों को इस व्यापार से अलग करने के लिए 14 अप्रैल 2016 से राष्ट्रीय कृषि मंडी (ई-नाम) योजना शुरू की गयी है। यहां किसानों को देश के विभिन्न मंडियों में फसलों के मूल्यों की जानकारी ऑन लाइन मिलती है और वे जहां चाहें वहां अपनी फसल बेच सकते हैं। किसानों के खाते में ऑन लाइन भुगतान किया जाता है। इस योजना के तहत 13 राज्यों के 417 मंडियों को जोड़ा गया है जहां लगभग 38 लाख किसानों ने अपना पंजीयन कराया है।

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