आयातित जुट उत्पादों पर शुल्क

Edited By ,Updated: 07 Jan, 2017 11:45 AM

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एक अहम संरक्षणवादी कदम उठाते हुए सरकार ने बंगलादेश और नेपाल से आयातित जूट के सामान पर डंपिंग रोधी शुल्क लगा दिया है। यह शुल्क 8 डॉलर से 350 डॉलर प्रति टन के बीच होगा

भुवनेश्वरः एक अहम संरक्षणवादी कदम उठाते हुए सरकार ने बंगलादेश और नेपाल से आयातित जूट के सामान पर डंपिंग रोधी शुल्क लगा दिया है। यह शुल्क 8 डॉलर से 350 डॉलर प्रति टन के बीच होगा, जो बंगलादेश और नेपाल से भारत आने वाले जूट के विभिन्न उत्पादों पर लगेगा। इस डंपिंग रोधी शुल्क की अधिसूचना केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने कल जारी की, क्योंकि जूट उत्पादों की डंपिंग से इन उत्पादों की घरेलू कीमतें घटती जा रही थीं। डंपिंग की वजह से घरेलू जूट उद्योग का प्रदर्शन निवेश पर लाभ प्रतिफल और नकदी प्रवाह के लिहाज से खराब बिगड़ता जा रहा था। 

वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक डंपिंग रोधी शुल्क 5 साल तक लागू रहेगा, बशर्ते कि इसे बदला या वापस नहीं लिया जाता है। इस शुल्क की अदायगी भारतीय रुपए में करनी होगी। इस शुल्क के दायरे में जूट उत्पादों की जो श्रेणियां आएंगी, उनमें जूट धागा, बोरियां, सुतली और टाट शामिल हैं। जूट बोरियों के घरेलू विनिर्माता डंपिंग मार्जिन से प्रभावित हुए हैं और उन्हें बांग्लादेश और नेपाल के विनिर्माताओं के निर्यात से नुकसान झेलना पड़ रहा है। एक्स-फैक्टरी कीमत और बंगलादेश और नेपाल के निर्यात की कीमतों की तुलना से बड़े डंपिंग मार्जिन का पता चलता है। 

औद्योगिक संस्था इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन (आईजेएमए) ने डंपिंग रोधी शुल्क लगाने को लेकर लॉबिइंग की थी। आईजेएमए ने दिल्ली स्थित टीएम कंसल्टेंट्स को उद्योग के पक्ष में उचित कदम उठाने के लिए नियुक्त किया था। चुनिंदा जूट मिलों के शुरुआती आंकड़ों के आधार पर सलाहकार ने पाया कि सरकार को डंपिंग रोधी शुल्क की सिफारिश करना उचित है। जूट उद्योग की चिंताओं के आधार पर सक्षम प्राधिकार डंपिंग रोधी और संबंधित शुल्क महानिदेशालय ने बीते साल 22 अक्तूबर को बंगलादेश और नेपाल से आयातित जूट उत्पादों पर डंपिंग रोधी शुल्क की सिफारिश की थी। 
 

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