ऑनलाइन बिक रहे हैं फेक प्रोडक्ट, 17 हजार करोड़ का हुआ इजाफा

Edited By ,Updated: 23 Jul, 2016 06:40 PM

fake products are sold online the increase of 17 thousand million

भारत में लग्जरी प्रोडक्ट की बढ़ती मांग से ऑनलाइन फेक प्रोडक्ट का फेक मार्केट खड़ा कर दिया है। आज हर ब्रांड का फेक आइटम ऑनलाइन...

नई दिल्ली: भारत में लग्जरी प्रोडक्ट की बढ़ती मांग से ऑनलाइन फेक प्रोडक्ट का फेक मार्केट खड़ा कर दिया है। आज हर ब्रांड का फेक आइटम ऑनलाइन आसानी से मिल जाता है। लकॉस्टे, लेक्मे, लॉरेल, अरमानी, गुची, लुई वितॉन, माइकल कॉर्स, डियॉर, बरबेरी, टैग हूयर, केसियो जैसे ब्रांड के फेक प्रोडक्ट की डिमांड ऑनलाइन 25 फीसदी की दर से बढ़ रही है। अब ये ऑनलाइन फेक लग्जरी मार्केट 17,000 करोड़ रुपए का हो चुका है।
 
ऑनलाइन बिक रहे फेक प्रोडक्ट 
फेक प्रोडक्ट इंपोर्ट करने वाले मुंबई के एक इंपोर्टर का कहना है कि केल्विन केयर, टैग हूयर की एक घड़ी, लकॉस्टे के परफ्यूम ऑनलाइन 50 फीसदी के डिस्काउंट के साथ कस्टमर इन्हें तेजी से खरीदते हैं। ऑनलाइन बेचने पर इंपोर्टर प्रति पीस 500-1,000 रुपए तक कमा लेते हैं। बैग, बेल्ट, टाई, परफ्यूम और एक्सेसरी पर सौ फीसदी का मार्जिन मिलता है। 
 
मार्जिन से बढ़ा कारोबार
दिल्ली के एक इंपोर्टर ने इस संदर्भ में बताया कि जो सेलर ऑरिजनल प्रोडक्ट बेचते हैं, कई बार वही फेक प्रोडक्ट बेचते हैं। फेक प्रोडक्ट बेचने पर उन्हें 50-60 फीसदी का प्रॉफिट मार्जिन मिल जाता है जबकि असली प्रोडक्ट बेचने पर उन्हें 25 फीसदी का प्रॉफिट मार्जिन मिलता है।
 
ऐसे बिकते हैं ऑनलाइन फेक प्रोडक्ट 
ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट पर नाइक के शूज, एडिडास की टी-शर्ट, प्यूमा के शूज, ब्रांडेड परफ्यूम फेक बिकते हैं। ज्यादातर इनके इनवॉइस पर वैट लेते हैं लेकिन टिन नंबर और सेल्स टैक्स रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं होता। कई बार नाम की स्पैलिंग भी गलत होती है। ज्यादातर ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियों की वेबसाइट पर बिकने वाले 70 फीसदी प्रोडक्ट थर्ड पार्टी सेलर के जरिए बिकते हैं। ये सेलर कई बार फेक प्रोडक्ट ऑनलाइन बेच रहे हैं।
 
इसे रोकने के लिए कंपनी ले रही है सर्टिफिकेट
स्नैपडील के प्रवक्ता का कहना है कि कंपनी इन हरकतों को रोकने के लिए सेलर से ब्रांड ऑथोराइजेशन सर्टिफिकेट लेती है। जिन सेलर्स के पास सर्टिफिकेट होता है वही ये प्रोडक्ट कंपनी की वेबसाइट पर बेच सकते हैं। अगर कस्टमर की तरफ से फेक प्रोडक्ट की कोई भी शिकायत आती है तो वह उस सेलर के खिलाफ कार्रवाई करते हैं।
 
कंपनियों ने किए हैं कोर्ट केस
लॉरेल और टॉमी हिलफिगर जैसी कंपनियों ने शॉपक्लूज पर कोर्ट केस कर दिया था। क्योंकि उनकी वेबसाइट पर इन ब्रांड के फेक प्रोडक्ट बिक रहे थे। कोर्ट ने कुछ समय के लिए इन ब्रांड को वेबसाइट पर बेचने के लिए रोक लगा दी थी।
 
डिस्काउंट से बढ़ रहा है कारोबार
ऑनलाइन बिकने वाले फेक प्रोडक्ट की कीमत ऑरिजनल की तुलना में 50-60 फीसदी तक कम होती है। लकॉस्टे की टीशर्ट ऑनलाइन 1,000 रुपए में बिक रही थी, जबकि इसकी टीशर्ट 3,000 रुपए में मिलती है। हालांकि, लकॉस्टे अपने प्रोडक्ट ऑनलाइन नहीं बेचता लेकिन इसके फेक प्रोडक्ट ऑनलाइन बिक रहे हैं।
 
कहां हैं इन प्रोडक्ट की मार्केट 
दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बंगलुरू, यूपी, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान देश के लगभा सभी राज्यों के लोग ऑनलाइन शॉपिगं करते हैं। इन लोगों को असली और फेक की कीमत या प्रोडक्टी की जानकारी नहीं होती। ऐसे में हैवी डिस्काउंट देखकर कस्टमर इन्हें खरीद लेते हैं।
 
बड़ा है फेक प्रोडक्ट का मार्केट 
एसोचैम-येस बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक देश में साल 2014 में फेक लग्जरी प्रोडक्ट का मार्केट 2,500 करोड़ रुपए था। ये साल 2015 में बढ़कर 5,600 करोड़ रुपए पहुंच गया है। देश में  लग्जरी गुड्स मार्केट 8 अरब डॉलर का है। इसमें फेक लग्जरी गुड्स का मार्केट करीब 5 फीसदी है। सर्वे में ये भी कहा गया कि फेक लग्जरी गुड्स 25 फीसदी ऑनलाइन बिकता है।

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