किसानों की दिवाली फीकी, नहीं मिल रहा MSP

Edited By ,Updated: 28 Oct, 2016 04:25 PM

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देश के अन्न-दाता किसानों के लिए इस बार भी दिवाली नाउम्मीदी लेकर आई है और फीकी रहने वाली है क्योंकि उन्हें धान, मक्का, सोयाबीन और मूंगफली के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भी नहीं मिल रहा ।

नई दिल्लीः देश के अन्न-दाता किसानों के लिए इस बार भी दिवाली नाउम्मीदी लेकर आई है और फीकी रहने वाली है क्योंकि उन्हें धान, मक्का, सोयाबीन और मूंगफली के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भी नहीं मिल रहा ।मोदी सरकार भले ही केंद्रीय कर्मचारियों को दिवाली पर बोनस का तोहफा दे रही हो लेकिन किसानों की कमाई को दोगुना करने का दावा करने वाली सरकार उन्हें फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भी नहीं दिला पा रही है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और गुजरात में धान, सोयाबीन, मूंगफली और मक्का की कीमतें एमएसपी से नीचे चल रही हैं। यही नही तिलहन और मक्का की कीमतें एमएसपी से नीचे चल रही हैं। 
 
केंद्र सरकार को उम्मीद है कि इस साल बेहतर मानसून के चलते कृषि उत्पादन में 8 फीसदी तक की बढ़ोतरी सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) को पिछले साल से बेहतर ले  जाने में मददगार साबित होगी। लेकिन जिस तरह से चालू मार्केटिंग सीजन में खाद्यान्न से लेकर तिलहन तक की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के नीचे चल रही हैं। इस समय उत्तर प्रदेश से शाहजहांपुर, पीलीभीत, सहानपुर, मुजफ्फरनगर, शामली और सहारनपुर में धान की कीमतें एमएसपी से 270 से 370 रुपए प्रति क्विंटल तक कम चल रही हैं। इन स्थानों पर धान की कीमत 1100 रुपए से 1220 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रही है,जबकि केंद्र सरकार ने धान की सामान्य किस्म के लिए 1470 रुपए प्रति क्विंटल का एमएसपी तय किया है। इनमें से अधिकांश स्थानों पर सरकारी खरीद एजेंसियों ने खरीदी केंद्र ही स्थापित नहीं किए हैं।

केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकार की घोर लापरवाही कीमतों में इस गिरावट का बड़ा कारण है। किसान नेता और राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वी.एम. सिंह ने बताया कि राज्य में सत्ता पर काबिज समाजवादी पार्टी अंदरूनी झगड़े में इस तरह से व्यस्त है कि उसे किसानों की कोई चिंता नहीं है। वैसे भी जिस सरकार ने पिछले साल में गन्ने के राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) में कोई बढ़ोतरी नहीं की, उससे किसानों से संकट को हल करने की उम्मीद कैसे की जा सकती है। वहीं जिस तरह से फसलों की कीमतें एमएसपी से नीचे चल रही हैं तो केंद्र सरकार किस तरह से किसानों की आय दो गुना करने का दावा करने की कोशिश कर रही है।
 

महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में भी किसान बेहाल 

वहीं मध्य प्रदेश के खाटेगांव और महाराष्ट्र के जलगांव में मक्का की कीमतें एमएसपी से 165 रुपए से 415 रुपए प्रति क्विंटल तक कम चल रही हैं। केंद्र सरकार द्वारा तय 1365 प्रति क्विंटल के एमएसपी के मुकाबले इन स्थानों पर कीमतें 950 रुपए से 1120 रुपए प्रति क्विंटल तक चल रही हैं। खास बात यह है कि अभी तक कोई भी सरकारी एजेंसी यहां पर मक्का की खरीद नहीं कर रही हैं। इसके साथ ही पिछले दिनों उद्योग के दबाव में सरकार ने टैरिफ रेट कोटा के तहत मक्का का शुल्क मुक्त का आयात किया था। इस बारे में नैफेड के एक पदाधिकारी का कहना है कि अभी उन्हें मक्का की खरीद के लिए कहा गया है लेकिन कोई वित्तीय व्यवस्था नहीं की गई है। 

इसके अलावी मध्य प्रदेश में सोयाबीन की कीमतें 2775 रुपए प्रति क्विंटल के एमएसपी के मुकाबले 2000 रुपए से 2500 रुपए प्रति क्विंटल चल रही हैं। दिलचस्प बात यह है कि देश में खाद्य तेलों का आयात खपत के 50 फीसदी को पार कर गया है और फसल आने के ठीक पहले सरकार ने सोयाबीन सहित दूसरे खाद्य तेलों पर सीमा शुल्क में कटौती की थी। ऐसें जहां किसानों को फसल की एमएसपी नहीं मिल रही हैं वहीं सरकार ने सस्ता खाद्य तेल आयात करने का रास्ता आसान किया है। यही नहीं खरीफ सीजन के दूसरे महत्वपूर्ण तिलहन मूंगफली की कीमतें भी 4220 रुपए प्रति क्विंटल के एमएसपी से नीचे चल रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात के हिम्मतनगर में मूंगफली की कीमत 3500 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास चल रही है। जबकि राजस्थान के बीकानेर और लंकरनसर में किसान 3275 रुपए से 3700 रुपए प्रति क्विंटल के बीच मूंगफली बेचने को मजबूर हैं, जो एमएसपी से काफी कम हैं।

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