किसानों की इंकम नैगेटिव ग्रोथ की ओर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Feb, 2018 05:24 AM

farmers earnings towards negative growth

2022 तक किसानों की इंकम डबल होगी या नहीं यह कहना अभी मुश्किल है लेकिन महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के उग्र आंदोलन से साफ  हो गया है कि ‘अन्नदाता’ इस समय मुश्किल हालात में हैं। मोदी सरकार के 3 साल में उसकी इंकम और लाइफ स्टाइल में कोई खास बदलाव नहीं...

नई दिल्ली: 2022 तक किसानों की इंकम डबल होगी या नहीं यह कहना अभी मुश्किल है लेकिन महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के उग्र आंदोलन से साफ  हो गया है कि ‘अन्नदाता’ इस समय मुश्किल हालात में हैं। मोदी सरकार के 3 साल में उसकी इंकम और लाइफ स्टाइल में कोई खास बदलाव नहीं आया है। 

सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि वर्ष 2014 से 2017 के बीच गेहूं, चावल और दलहन जैसी प्रमुख फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) महज 16 प्रतिशत तक बढ़ा है। वहीं, सब्जियों के थोक मूल्य 70 प्रतिशत तक घट गए हैं। इससे साफ  है कि किसानों की इंकम नैगेटिव ग्रोथ की ओर है। नैशनल सैम्पल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (एन.एस.एस.ओ.) के डाटा के अनुसार देश के 52 प्रतिशत किसान परिवारों पर कर्ज है। ऐसे में अगर इंकम नहीं बढ़ी तो आने वाले दिन उनके लिए और परेशानी वाले हो सकते हैं। 

इंडियन काऊंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनैशनल इकोनॉमिक रिलेशंस के सीनियर फैलो सिराज हुसैन ने बताया कि पिछले 2 साल से देश में सूखा था। इस साल फसल बेहतर हुई तो कीमतें तेजी से गिरी हैं। खासकर सब्जियों के दामों में 70 प्रतिशत तक पिछले 3 साल में गिरावट देखी गई है। किसान जो आॢथक दबाव में है उसका समाधान सिर्फ  गेहूं और चावल की एम.एस.पी. बढ़ाकर नहीं हो सकता है। इसके लिए मंडी स्तर पर बड़े पैमाने पर सुधार की जरूरत है जिससे किसान डायरैक्ट खरीदार को अपनी फसल दे सकें। इसमें राज्य हस्तक्षेप न करें। 

गेहूं, धान की एम.एस.पी. 12 प्रतिशत तक बढ़ी
देश में किसानों की सुनिश्चित इंकम का प्रमुख भरोसा एम.एस.पी. के जरिए होता है। साथ ही यह उम्मीद की जाती है कि मार्कीट में भी किसान को उसकी फसल का इससे कम दाम नहीं मिलेगा। खास तौर पर गेहूं और धान ऐसी 2 फसलें हैं, जिन पर काफी हद तक किसान निर्भर हैं। इसके बावजूद पिछले 3 साल में सरकार ने एम.एस.पी. में 12 प्रतिशत तक का ही इजाफा किया है। एग्रो एक्सपर्ट देविंद्र शर्मा कहते हैं कि एम.एस.पी. निश्चित ही किसानों को सुनिश्चित आय का एक प्रमुख जरिया है। पंजाब और हरियाणा इसकी मिसाल हैं। हालांकि खेद की बात यह है कि देश के 6 प्रतिशत किसानों को ही एम.एस.पी. का फायदा मिल पा रहा है लेकिन हमें शेष किसानों को निश्चित आय देने का तरीका खोजना होगा। 

सब्जियों की थोक कीमतें 
सब्जी       मई 2014 कीमत           जून 2017 कीमत                  ग्रोथ
आलू         1438                             450                             -69 प्रतिशत
प्याज        1063                              750                             -30 प्रतिशत
टमाटर        463                            1025                           +110प्रतिशत
दूध               34 रुपए लीटर                40 रुपए लीटर            + 12 प्रतिशत
फसल        2014 में एम.एस.पी.       2017 में एम.एस.पी.      ग्रोथ (प्रतिशत में)
गेहूं           1450                            1625                                12
धान          1360                            1470                                 8
दाल          4350                            5050                               16
 
अनाज के दाम रुपए प्रति क्विंटल में 
स्रोत-कन्ज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री

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