नए साल में यह चीजे हो सकती हैं महंगी!

Edited By ,Updated: 15 Dec, 2015 04:23 PM

federal reserve interest rates

टिकाऊ उपभोक्ता व इलैक्ट्रॉनिक कंपनियां रुपए में आ रही गिरावट पर नजर रखे हुए हैं। आज भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 67 के पार चली गई

मुंबईः टिकाऊ उपभोक्ता व इलैक्ट्रॉनिक कंपनियां रुपए में आ रही गिरावट पर नजर रखे हुए हैं। आज भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 67 के पार चली गई, जो तत्काल कीमतों में बढ़ौतरी की संभावना पैदा कर रहा है। वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के मुख्य परिचालन अधिकारी सी एम सिंह ने कहा, नए साल में उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं। उन्होंने कहा, रुपए में एक की गिरावट से कीमत पर सीधे तौर पर 1.5 फीसदी का असर पड़ता है। 

ज्यादातर कंपनियां 65-66 रुपए प्रति डॉलर पर काम कर रही थी। अब यह 67 के पार चला गया है। मुझे लगता है कि निकट भविष्य में यह 68 को छू जाएगा, जो बताता है कि हमें नए साल में कीमतें बढ़ानी पड़ सकती है।

कंपनियां रुपए में और गिरावट की संभावना इसलिए जता रही है क्योंकि अमरीकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढ़ा सकता है। फेडरल ने ब्याज दर शून्य के आसपास रखा है, जो विदेशी निवेशकों को भारत जैसे उभरते बाजारों में निवेश को प्रोत्साहित कर रहा है। 

विशेषज्ञों ने कहा, दरों में बढ़ौतरी से एफआईआई अपना निवेश वापस विकसित बाजारों में करने लगेंगे, जिससे शेयर व मुद्रा बाजारों में उतारचढ़ाव देखने को मिलेगा। इस क्षेत्र के विश्लेषकों ने कहा, जिन टिकाऊ उपभोक्ता व इलैक्ट्रॉनिक सामान बनाने वाली कंपनियों की आयात पर निर्भरता होती है, उतार-चढ़ाव के दौरान उनके कारोबार पर असर पड़ेगा। हल्के इलैक्ट्रॉनिक व टिकाऊ उपभोक्ता सामान में औसतन 50-75 फीसदी हिस्सा आयातित कलपुर्जा होता है। 

एलजी व ओनिडा जैसी कंपनियों के साथ काम कर चुके टिकाऊ उपभोक्ता व इलैक्ट्रॉनिक विशेषज्ञ वाई वी वर्मा ने कहा, आयातित कलपुर्जे ज्यादा होने और कुछ उत्पाद मसलन फ्रॉस्ट फ्री रेफ्रिजरेटर वस्तुत: आयातित होते हैं, लिहाजा कंपनियों को कीमतों में इजाफा करना होगा।

कंपनी के अधिकारी निजी तौर पर स्वीकार करते हैं कि सबसे पहले एयर कंडीशनर की कीमतें बढ़ सकती हैं क्योंकि ज्यादातर कंपनियां हर साल जनवरी-फरवरी में एसी का कारोबार शुरू कर देती हैं। अगर रुपए में उतार-चढ़ाव के चलते जनवरी-फरवरी में कीमतें नहीं बढ़ती हैं तो मार्च-अप्रैल में सीजन की शुरूआत होने पर कीमतें बढ़ाना मुश्किल हो जाएगा। उपभोक्ता व कारोबारी दोनों ही इसका प्रतिरोध करेंगे। 

60,000 करोड़ रुपए वाला टिकाऊ उपभोक्ता व इलैक्ट्रॉनिक बाजार पिछली कुछ तिमाहियों से ग्राहकों की तरफ से खरीदारी टालने व इसमें कटौती करने की मार झेल रहा है। दिवाली का सीजन हालांकि बेहतर रहा लेकिन अब सुस्ती शुरू हो चुकी है। ज्यादातर कंपनियां छूट आदि की पेशकश कर रही है ताकि दिवाली का स्टॉक निकल जाए। 

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