NPA की हालत नहीं सुधरते देख RBI की निगरानी में रहेंगे ये चार बैंक

Edited By ,Updated: 24 Mar, 2017 02:06 PM

four banks will be under the supervision of the reserve bank of india

बढ़ते फंसे कर्ज यानी एन.पी.ए. की हालत नहीं सुधरते देख रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) ने 4 बैंकों को अपनी निगरानी में रख लिया है। सार्वजनिक क्षेत्र के इन बैंकों की सूची में आई.डी.बी.आई., इंडियन ओवरसीज बैंक (आई.ओ.बी.) और यूको बैंक शामिल हैं।

नई दिल्लीः बढ़ते फंसे कर्ज यानी एन.पी.ए. की हालत नहीं सुधरते देख रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) ने 4 बैंकों को अपनी निगरानी में रख लिया है। सार्वजनिक क्षेत्र के इन बैंकों की सूची में आई.डी.बी.आई., इंडियन ओवरसीज बैंक (आई.ओ.बी.) और यूको बैंक शामिल हैं। इस सूची के चौथे बैंक का नाम अभी पता नहीं चल पाया है। आर.बी.आई. ने इन बैंकों को जोखिम वाली संपत्तियों से दूर रहने की हिदायत दी है, ताकि उनकी वित्तीय हालत और खराब नहीं हो। 

सूत्रों के मुताबिक ये बैंक आर.बी.आई. के राडार पर हैं क्योंकि इनकी वित्तीय हालत 31 मार्च तक सुधरने के आसार कम हैं। केंद्रीय बैंक की एसेट क्वॉलिटी समीक्षा (एक्यूआर) की अवधि समाप्त होने जा रही है। वित्त मंत्रालय और आर.बी.आई. दोनों ने इन बैंकों से वित्तीय स्थिति सुधारने, पूंजी लगाने के विकल्प तलाशने और संपत्तियां बेचने का टिकाऊ मॉडल तैयार करने को कहा है। रिजर्व बैंक ने दिसंबर, 2015 से एसेट क्वॉलिटी समीक्षा को अमल में लाते हुए बैंकों को अपने चुनींदा सबसे बड़े डिफॉल्ट खातों को एन.पी.ए. के रूप में चिह्नित करने का निर्देश दिया था। इसके चलते इन बैंकों की एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की एसेट्स को दिसंबर तिमाही में फंसे कर्ज के रूप में चिह्नित किया गया।

बैंकों का NPA रिकॉर्ड लेवल
सालाना आधार पर आई.ओ.बी. का ग्रॉस एन.पी.ए. दिंसबर के आखिर तक 52 फीसदी बढ़कर 34,502.13 करोड़ रुपए हो गया। इसी तरह आई.डी.बी.आई. का सकल एन.पी.ए. 80 फीसदी उछलकर 35,245 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। तीसरी तिमाही के दौरान यूको बैंक का ग्रॉस एन.पी.ए. 49 फीसीद बढ़कर 2,181 करोड़ रुपए हो गया। केंद्र सरकार ने हाल ही में आई.डी.बी.आई. के सीईओ किशोर कांत को इंडियन बैंक में भेज दिया था। इंडियन बैंक के सीईओ एमके जैन को आई.डी.बी.आई. भेजा गया है।

एन.पी.ए. के खात्मे को मिलें और अधिकार
देश में निगरानी कमेटियों और ज्वाइंट लेंडर फोरम (जे.एल.एफ.) जैसे फंसे कर्ज के मौजूदा समाधान तंत्रों को सशक्त बनाया जाए। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एस.एस. मूंदड़ा ने इसके लिए इन तंत्रों को और अधिकार दिए जाने की जरूरत बताई है। मूंदड़ा मौजूदा तंत्र के कारगर नहीं होने से जुड़े सवाल का जवाब दे रहे थे।

गौरतलब है कि देश में 41 बैंकों का कुल बैड लोन वित्त वर्ष 17 की दिसंबर तिमाही तक 7 लाख करोड़ रुपए थी। यह आंकड़ा एक साल पहले के आंकड़े से 60 फीसदी अधिक है।वहीं मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान इन बैंकों का ग्रॉस एन.पी.ए. 6.74 लाख करोड़ रुपए थी।

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