जी.एस.टी. में माल की आवाजाही पर ई-बिल का विरोध

Edited By ,Updated: 21 Apr, 2017 10:58 AM

g s t e bill protest on movement of goods in

जी.एस.टी. के तहत 50,000 रुपए से ज्यादा का माल कहीं भी लाने-ले जाने के लिए ई-वे बिल की अनिवार्यता का ट्रेड-इंडस्ट्री में विरोध शुरू हो गया है। ..

लुधियाना/नई दिल्ली : जी.एस.टी. के तहत 50,000 रुपए से ज्यादा का माल कहीं भी लाने-ले जाने के लिए ई-वे बिल की अनिवार्यता का ट्रेड-इंडस्ट्री में विरोध शुरू हो गया है। अभी तक इंटरस्टेट गुड्स मूवमैंट पर ई-परमिट आने से आशंकित व्यापारियों ने ई-बिलिंग को उससे भी बड़ी सिरदर्दी करार दिया है। कुछ संगठनों ने 5 लाख रुपए तक के कंसाइनमैंट को ई-बिलिंग से मुक्त करने की मांग की है। कन्फैडरेशन ऑफ  ऑल इंडिया ट्रेडर्स के प्रैजीडैंट बी.सी. भरतिया ने इसे जी.एस.टी. की मूल भावना के खिलाफ  बताते हुए कहा कि राज्य के बाहर या भीतर कहीं भी माल भेजने के लिए थ्री लैवल ऑनलाइन सिस्टम से गुजरना होगा। पहले सप्लायर जी.एस.टी. पोर्टल पर माल की डिटेल्स अपलोड करेगा, फिर थर्ड पार्टी या ट्रांसपोर्टर वैसी ही डिटेल्स भरकर एक ई-वे बिल नंबर (ई.बी.एन.) जैनरेट करेगा। बिल की कॉपी या नंबर अपने साथ लेकर चलेगा। फिर रिसीवर 72 घंटे के अंदर ऑनलाइन पुष्टि करेगा कि माल ले लिया।

ट्रांसपोर्टर्स के लिए भी कई तरह की जवाबदेही
ट्रांसपोर्टर्स के लिए भी कई तरह की जवाबदेही तय की गई है। चूंकि दूरी के हिसाब से ई.बी.एन. की वैलिडिटी तय है, मसलन 100 किलोमीटर के लिए एक दिन, 300 कि.मी. 3 और 500 कि.मी. 5, 1000 किलो के लिए 15 दिन। ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वैल्फेयर एसोसिएशन के प्रैजीडैंट प्रदीप सिंघल ने कहा कि हम दोबारा परमिट राज की तरफ  लौटेंगे। यह ट्रेड बैरियर मुक्त भारत की अवधारणा के खिलाफ  है जिसकी अपेक्षा जी.एस.टी. से की गई थी। एक ही ट्रक में अलग-अलग सप्लायर्स या या रिसीवर्स का माल होने पर ई.बी.एन. का अलग सीरियल नंबर मिलेगा। रोड एक्सीडैंट के बाद अगर माल दूसरी गाड़ी से भेजा जाता है तो नए सिरे से ई.बी.एन. जैनरेट करवाना होगा। ट्रांसपोर्टर बिना ई.बी.एन. नंबर जैनरेट किए माल लेकर नहीं चल सकता।

वैट से भी कठिन
जी.एस.टी. के जरिए कर प्रणाली को आसान बनाने का दावा किया गया था लेकिन यह नियम तो वैट अधिनियम से भी सख्त और परेशानी बढ़ाने वाला है। मौजूदा वैट नियमों में माल का परिवहन फॉर्म-49 के जरिए होता है। इस फॉर्म की मियाद 30 दिन की होती है। एक और 3 दिन की मियाद तो अव्यावहारिक है। ट्रांसपोर्टेशन और तमाम व्यवस्थाओं के बीच इसका पालन व्यापारी के लिए संभव ही नहीं होगा। ड्राफ्ट के मुताबिक शहर से शहर में ही यानी फैक्टरी से गोडाऊन के बीच भी माल परिवहन करना मुश्किल हो जाएगा। ऐसी स्थिति में भी पैनल्टी लगा दी जाएगी।

परेशानी होगी यहां से
सी.ए. व कर सलाहकारों के मुताबिक प्रस्तावित नियम के हिसाब से सिर्फ ई-वे बिल जारी करना असल समस्या नहीं है बल्कि इसके साथ लागू की जा रही समय सीमा की पाबंदी बड़ी परेशानी बनती नजर आ रही है। दरअसल ई-वे बिल के साथ बिल्कुल अव्यावहारिक अंदाज में मियाद लागू करने का प्रस्ताव है। इसके मुताबिक ई-वे बिल के साथ माल कितनी दूरी तक भेजना है, यह भी दिखाना होगा। यदि 100 कि.मी. की दूरी तक भेजने का ब्यौरा दर्ज करवाया गया तो ई-वे की वैधता सिर्फ 24 घंटे होगी। यानी 24 घंटे के अंदर माल गंतव्य तक नहीं पहुंचाया गया तो भी चैकिंग के दौरान रोककर पैनल्टी लगा दी जाएगी। इसके बाद 300 कि.मी. तक के परिवहन पर सिर्फ 3 दिन की मोहलत दी जा रही है। ऐसा ही ज्यादा दूरी पर भी है। ड्रॉफ्ट अव्यावहारिक है, आपत्ति दर्ज करने के लिए एक ही दिन का समय दिया गया था। व्यापारियों के साथ प्रैक्टीशनर्स और प्रतिनिधि संस्थाओं ने आपत्तियां दर्ज करवा दी हैं। ई-वे की मियाद 15 से 30 दिन की होनी चाहिए।

 

 

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