मुखौटा कंपनियों पर कार्रवाई, सरकार ने आयकर रिटर्न फाइल करने में छूट समाप्त

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Feb, 2018 10:17 AM

government exempt exemption for filing income tax returns

सरकार ने मुखौटा कंपनियों पर कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए अगले वित्त वर्ष से 3,000 रुपए तक की कर देनदारी वाली कंपनियों के लिए उपलब्ध छूट को हटाने का प्रस्ताव किया है। वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में रिटर्न दाखिल करने में विफल रहने के मामले में अभियोजन से...

नई दिल्लीः सरकार ने मुखौटा कंपनियों पर कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए अगले वित्त वर्ष से 3,000 रुपए तक की कर देनदारी वाली कंपनियों के लिए उपलब्ध छूट को हटाने का प्रस्ताव किया है। वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में रिटर्न दाखिल करने में विफल रहने के मामले में अभियोजन से संबंधित आयकर कानून के प्रावधान को युक्तिसंगत बनाया गया है। एक अप्रैल से शुरू वित्त वर्ष के लिए आईटी रिटर्न फाइल करने में किसी प्रकार की चूक को लेकर उस अवधि के दौरान कंपनी के प्रबंध निदेशक या प्रभारी निदेशक के खिलाफ अभियोजन चलाया जा सकता है।

वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘आयकर विभाग इन कंपनियों के निवेश पर गौर करेगा। साथ ही अब उन कंपनियों पर ध्यान दिया जाएगा जो कम लाभ दिखाते हैं और उन पर भी जो पहली बार आयकर रिटर्न भरते हैं।’’ देश में करीब 12 लाख सक्रिय कंपनियां हैं। इसमें से करीब सात लाख सालाना अंकेक्षित रिपोर्ट के साथ अपना रिटर्न कारपोरेट कार्य मंत्रालय के पास जमा करती हैं। इसमें करीब तीन लाख कंपनियां शून्य आय दिखाती हैं। आयकर कानून की धारा 276सीसी के तहत अगर कोई व्यक्ति निर्धारित समय में आय रिटर्न दाखिल करने में विफल रहता है, उस पर जेल की सजा के साथ जुर्माना लगाया जा सकता है। हालांकि अब तक के प्रावधान के अनुसार अगर कर देनदारी 3,000 रुपए से अधिक नहीं है तो कोई भी अभियोजन शुरू नहीं किया जा सकता था। सरकार ने इस प्रावधान में एक अप्रैल 2018 से प्रभावी संशोधन किया है और कंपनियों के लिये उपलब्ध छूट समाप्त कर दी है। इसमें कहा गया है, ‘‘मुखौटा कंपनियों या बेनामी संपत्ति रखने वाली कंपनियां उक्त प्रावधान के उल्लंघन को रोकने के लिए प्रावधान में संशोधन का प्रस्ताव है।’’

अधिकारी ने कहा कि 5 लाख कंपनियां रिटर्न फाइल नहीं कर रही और वे मनी लांड्रिंग का संभावित स्रोत हो सकती हैं। बजट में यह घोषणा मुखौटा कंपनियों पर कार्यबल की सिफारिश के बाद आयी है। कार्यबल का गठन पिछले साल फरवरी में किया गया था। कालाधन के खिलाफ सरकार के अभियान में मुखौटा कंपनियां निशाने पर हैं। इसका कारण इन कंपनियों के मनी लांड्रिंग में शामिल होने की आशंका है। दिसंबर 2017 तक कारपोरेट कार्य मंत्रालय ने विभिन्न नियमों के अनुपालन नहीं करने को लेकर 2.26 लाख कंपनियों का पंजीकरण रद्द किया।     

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