ऋण वसूली न्यायाधिकरण में जाने वाले मामलों पर सरकार का स्पष्टीकरण

Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Aug, 2017 04:28 PM

government explanation on matters go to debt recovery tribunal

सरकार ने आज स्पष्ट किया कि दिवाला और दिवालियापन संहिता 2016 के प्रभावी होने के ....

नई दिल्लीः सरकार ने आज स्पष्ट किया कि दिवाला और दिवालियापन संहिता 2016 के प्रभावी होने के मद्देनजर पुराने कानूनों को रद्द करने का प्रावधान है लेकिन व्यक्तिगत एवं पार्टनरशिप के लिए दिवाला एवं दिवालियापन से जुड़े प्रावधान अब तक अधिसूचित नहीं किया गया है इसलिए ऐसे मामले वाले ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डी.आर.टी.) के बजाय उपयुक्त प्राधिकरण या अदालत में जा सकते हैं।

वित्त मंत्रालय ने यहां जारी बयान में कहा कि कुछ उच्च न्यायालयों के समक्ष दायर रिट याचिकाओं में कहा गया है कि ‘प्रेजीडेंसी टाउन दिवाला अधिनियम, 1909’ और ‘प्रांतीय दिवाला अधिनियम, 1920’ (कानूनों) को दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 (संहिता) कानून के मद्देनजर रद्द कर दिया गया है। इसके आधार पर दावेदार दावा कर रहे हैं कि व्यक्तिगत दिवाला और दिवालियापन से जुड़े मामलों से अब संहिता के प्रावधानों के अंतर्गत निपटा जा सकता है।

मंत्रालय ने इस सम्बन्ध में स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि संहिता के अनुच्छेद 243 में इन कानूनों को रद्द करने की व्यवस्था है लेकिन उसे अब तक अधिसूचित नहीं किया गया है। किसी एक व्यक्ति और पार्टनरशिप के लिए दिवाला और दिवालियापन से जुड़े प्रावधान जो संहिता के भाग तीन में हैं उन्हें अधिसूचित किया जाना शेष है। इसमें मद्देनजर मंत्रालय ने ऐसे पार्टनरशिप, जो दिवाले से जुड़े अपने मामलों को आगे जारी रखना चाहते हैं, को वर्तमान कानूनों के अंतर्गत ऋण वसूली न्यायाधिकरण में जाने के बजाय उपयुक्त प्राधिकार/ अदालत में जाने की सलाह दी है। 

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