Edited By ,Updated: 12 May, 2017 12:36 PM
सरकार ने एक बार फिर रेट कट की पैरवी की है। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन का कहना है कि नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आर.बी.आई.) के पास रेट कट की पूरी गुंजाइश थी।
नई दिल्लीः सरकार ने एक बार फिर रेट कट की पैरवी की है। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन का कहना है कि नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आर.बी.आई.) के पास रेट कट की पूरी गुंजाइश थी। उन्होंने कहा कि आर.बी.आई. से पूछा जाना चाहिए कि आखिर क्यों ब्याज दरें नहीं घटाई गईं।
अरविंद सुब्रमणियन के मुताबिक महंगाई की मौजूदा स्थिति को देखते हुए अब भी रेट कट की जगह है। आपको बता दें कि आर.बी.आई. ने जनवरी में रेपो रेट में 0.5 फीसदी की कमी की थी लेकिन इसके बाद ब्याज दर में कटौती की उम्मीदें पूरी नहीं हुईं। रेपो रेट वो रेट है जिस पर सेंट्रल बैंक से बैंकों को कर्ज मिलता है। अगर ये रेट कम है तो बैंक भी कम ब्याज दर पर लोन दे सकते हैं।
वहीं अरविंद सुब्रमणियन ने रेटिंग एजेंसियों की भी खुलकर आलोचना की। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है रेटिंग एजेंसियां भारत और चीन के लिए अलग-अलग मानदंड अपना रही हैं। भारत में इकोनॉमी बेहतर होने के कई संकेत मिल रहे हैं। महंगाई से लेकर ग्रोथ तक में सुधार हुआ है लेकिन एजेंसियां भारत की रेटिंग नहीं सुधार रहीं। दूसरी तरफ इन्हीं मानकों पर चीन की हालत खस्ता हुई है लेकिन उसे अपग्रेड कर दिया है।
आपको बता दें कि ग्लोबल एजेंसियों ने भारत की बीबीबी रेटिंग बरकरार रखी है। इस तरह की रेटिंग के कारण देश में निवेश पर असर पड़ता है। एजेंसियों से अरविंद सुब्रमणियन ने पूछा है कि आखिर क्यों इनकी रेटिंग को गंभीरता से लिया जाए? सुब्रमणियन ने ये बातें बैंगलूर में एक लेक्चर के दौरान कही।