GST: कम्पोजिशन रिटर्न के तहत 5 लाख कंपनियों के आंकड़ों से सरकार हैरान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Feb, 2018 05:54 PM

government surprised by the figures of 5 lakh companies

कंपनियों द्वारा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) कम्पोजिशन योजना के तहत दाखिल रिटर्न की संख्या से सरकार हैरान है। करीब पांच लाख कंपनियों ने रिटर्न में अपनी सालाना बिक्री को सिर्फ 5 लाख रुपए ही दिखाया है।  इस बीच, अधिया ने आज फिर दोहराया कि पिछले कुछ दिन के...

नई दिल्लीः कंपनियों द्वारा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) कम्पोजिशन योजना के तहत दाखिल रिटर्न की संख्या से सरकार हैरान है। करीब पांच लाख कंपनियों ने रिटर्न में अपनी सालाना बिक्री को सिर्फ 5 लाख रुपए ही दिखाया है।  इस बीच, अधिया ने आज फिर दोहराया कि पिछले कुछ दिन के दौरान शेयर बाजारों में गिरावट की वजह वैश्विक स्तर पर बाजारों में गिरावट है। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि दीर्घावधि के पूंजीगत लाभ कर (एलटीसीजी) के प्रस्ताव की वजह से बाजार टूट रहा है।  जीएसटी के तहत 20 लाख रुपए तक कारोबार वाली कंपनियों को जीएसटी व्यवस्था से छूट है।

जीएसटी पिछले साल 1 जुलाई को लागू हुआ है।  जुलाई-सितंबर की अवधि के दौरान कम्पोजिशन योजना के विकल्प को चुनने वाली करीब 10 लाख कंपनियों में से 7 लाख ने तिमाही के लिए रिटर्न दाखिल किया है।  वित्त सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि , ‘‘हैरानी की बात है कि इन सात लाख कंपनियों में से पांच लाख ने अपना जो रिटर्न दाखिल किया है, उसके मुताबिक उनका वार्षिक कारोबार 5 लाख रुपए से कम बैठता है।

अब हम सोच रहे हैं कि उनको पंजीकरण कराने की क्या जरूरत थी। जीएसटी में 20 लाख रुपए तक के सालाना कारोबार तक पंजीकरण कराने की जरूरत नहीं है।’’  अधिया ने कहा, ‘‘हम इस गणित को नहीं समझ पाए, जबकि हमने कम्पोजिशन योजना के लिए सीमा बढ़ाकर 1.5 करोड़ रुपए कर दी। ऐसा करने की जरूरत नहीं थी।’’  


नवंबर में किया था कम्पोजिशन स्कीम को बढ़ाने का फैसला 
जीएसटी परिषद ने नवंबर, 2017 में कम्पोजिशन योजना की सीमा बढ़ाकर डेढ़ करोड़ रुपये करने का फैसला किया था और साथ ही जीएसटी कानून को संशोधित कर सांविधिक सीमा को दो करोड़ रुपए करने का फैसला किया है। उससे पहले तक यह सीमा 1 करोड़ रुपए थी।  कम्पोजिशन योजना के तहत कारोबारी और विनिर्माताओं को एक प्रतिशत कम दर पर कर का भुगतान करने की अनुमति होती है।  अधिया ने करीब 14 साल बाद एलटीसीजी कर को फिर से लागू करने की वजह बताते हुए कहा कि सभी ऐसी संपत्तियां जिनमें दीर्घावधि का रिटर्न मिल रहा है, पर कर लगता है। लेकिन शेयरों के साथ ऐसा नहीं है। इसी अंतर को दूर करने के लिए यह कदम उठाया गया है।  
 

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