डिजिटल पेमेंट करने वालों के लिए सरकार करेगी बड़ा एेलान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Nov, 2017 11:22 AM

government will reward digital payers

अगर आप डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड या पेमेंट ऐप के जरिए भुगतान करते हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। सरकार डिजिटल भुगतान करने वाले ग्राहकों को वस्‍तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) में 2 फीसदी छूट देने की योजना बना रही है। जनवरी में होने वाली जी.एस.टी. परिषद...

नई दिल्लीः अगर आप डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड या पेमेंट ऐप के जरिए भुगतान करते हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। सरकार डिजिटल भुगतान करने वाले ग्राहकों को वस्‍तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) में 2 फीसदी छूट देने की योजना बना रही है। जनवरी में होने वाली जी.एस.टी. परिषद की अगली बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा होने की संभावना है। प्रस्ताव के मुताबिक यह छूट केवल बिजनेस टु कंज्यूमर लेनदेन पर ही उपलब्ध होगी वो भी ऐसी उत्पादों या सेवाओं के लिए जिन पर जी.एस.टी. की दर 3 फीसदी या उससे अधिक है। दो फीसदी छूट में एक फीसदी केंद्रीय जी.एस.टी. पर और एक फीसदी राज्य जी.एस.टी. पर होगी।

डिजिटल लेनदेन को मिलेगा बढ़ावा
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'इसके पीछे सोच डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने की है और प्रोत्साहन देने से बेहतर तरीका और क्या हो सकता है। अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो इससे औपचारिक अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ाने में मदद मिलेगी क्योंकि उपभोक्ता दुकानदारों से डिजिटल भुगतान के विकल्पों की मांग करेंगे।' उन्होंने कहा कि इससे कर चोरी भी कम होगी और अनुपालन की दर में भी सुधार आएगा। जी.एस.टी. परिषद की 10 नवंबर को गुवाहाटी में हुई पिछली बैठक के एजेंडे में भी यह प्रस्ताव शामिल था लेकिन इस पर चर्चा नहीं हो सकी।

छूट की अधिकतम सीमा 100 रुपए
अगर यह प्रस्ताव लागू होता है तो डिजिटल तरीके से भुगतान करने वालों के लिए जी.एस.टी. की प्रभावी दर 18 फीसदी से घटकर 16 फीसदी रह जाएगी। हालांकि, छूट की सीमा प्रति लेनदेन 100 रुपए तक होगी। इसका मतलब यह हुआ कि 18 फीसदी की श्रेणी में शामिल सामान पर प्रति लेनदेन 5000 रुपए तक की खरीदारी पर ही 100 रुपए की छूट मिलेगी। इस योजना के तहत उपभोक्ताओं को दो कीमतों की पेशकश की जाएगी। इनमें से एक में नकद भुगतान के साथ खरीदारी करने पर सामान्य जी.एस.टी. दर लगेगा जबकि डिजिटल भुगतान पर जी.एस.टी. में 2 फीसदी की छूट मिलेगी। इस छूट का मतलब यह है कि सरकार को राजस्व की चिंता छोडऩी पड़ेगी लेकिन उसे उम्मीद है कि अनुपालन दर में सुधार और मांग में सुधार से इसकी भरपाई हो जाएगी। 

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