GST: दरें तय होते ही होने लगा उनका विरोध, व्यापारी नाखुश

Edited By ,Updated: 23 May, 2017 11:01 AM

gst  rates became fixed as soon as it was decided  business unhappy

वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) की दरें तय होते ही उनका विरोध तेज होने लगा है।

नई दिल्लीः वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) की दरें तय होते ही उनका विरोध तेज होने लगा है। व्यापारी संगठन मशविरा नहीं किए जाने का आरोप लगा रहे हैं और ई-कॉमर्स कंपनियां कह रही हैं कि उनका काम मुश्किल हो जाएगा। सोने-चांदी के व्यापारी और वाहनों के पुर्जे बनाने-बेचने वाले भी जी.एस.टी. दरों से नाखुश हैं। कल-पुर्जा कारोबारियों ने तो आज राजधानी में भारी प्रदर्शन भी किया। इन छोटे उद्यमियों का कहना है कि 28 फीसदी जी.एस.टी. लगा तो वे बड़ी कंपनियों से टक्कर नहीं ले पाएंगे।


क्या कहना उद्यमियों और कंपनियों का 
- कश्मीरी गेट के वाहन पुर्जा उद्यमी नरेंद्र मदान ने बताया कि वहां करीब 1,000 पुर्जा निर्माताओं में से 400-500 को सालाना कारोबार 1.5 करोड़ रुपए से कम होने के कारण उत्पाद शुल्क से छूट मिलती है और 12.5 फीसदी वैट देना होता है, जिससे दाम कम रहते हैं। जी.एस.टी. में इन्हें 15 फीसदी अधिक यानी 28 फीसदी कर देना होगा।
- ऑटो पार्ट्स मर्चेंट्स एसोसिएशन (अपमा) के सचिव उमेश सेठ ने कहा कि वाहन पुर्जों को विलासिता का सामान मानकर ऊंचे कर दायरे में रखा गया है, लेकिन इसे कच्चा माल मानते हुए कम कर दर दायरे में रखा जाए।
- नफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने कहा कि सलाह मशविरे के बगैर जी.एस.टी. लागू करने के बजाय व्यापारियों के प्रतिनिधित्व वाली समिति बनाई जाए।
- अमेजॉन, फ्लिपकार्ट और शॉपक्लूज की दलील है कि इससे हर साल उनके विक्रेताओं की 400 करोड़ रुपए की पूंजी फंस जाएगी और कागजों के ढेर से भी जूझना होगा।
- शॉपक्लूज के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी संजय सेठी ने कहा कि हमें 1 फीसदी टी.सी.एस. वसूलना मंजूर नहीं है क्योंकि सरकार ने अपनी जिम्मेदारी हमारे गले   डाली है। 5 लाख छोटे कारोबारियों को कारोबार बढ़ाने में मदद करने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों की परेशानी इससे बढ़ेगी। सभी छोटे कारोबारियों को जीएसटी के लिए  पंजीकरण भी कराना होगा। ऑफलाइन बाजार में 20 लाख रुपये से कम कारोबार पर ऐसी बाध्यता नहीं है यानी ऑफलाइन और ऑनलाइन कारोबार में भेदभाव किया      जा रहा है।'

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