Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Dec, 2017 11:39 AM
जी.एस.टी. रैवेन्यू में आ रही गिरावट और टैक्सपेयर्स की दिक्कतों के मद्देनजर सरकार अब उस सहूलियत की ओर बढ़ती दिख रही है जिसकी ट्रेड-इंडस्ट्री शुरू से ही मांग करती रही है। जी.एस.टी.
नई दिल्ली: जी.एस.टी. रैवेन्यू में आ रही गिरावट और टैक्सपेयर्स की दिक्कतों के मद्देनजर सरकार अब उस सहूलियत की ओर बढ़ती दिख रही है जिसकी ट्रेड-इंडस्ट्री शुरू से ही मांग करती रही है। जी.एस.टी. कानून और प्रक्रिया में सुधार पर बनी कारोबारियों की एडवाइजरी कमेटी के बाद अब एक और तकनीकी समिति ने सिफारिश की है कि जी.एस.टी. में हर महीने जरूरी 3 रिटर्न को मिलाकर सिर्फ एक रिटर्न भरने की सुविधा दे दी जाए। माना जा रहा है कि जी.एस.टी. काऊंसिल अगले महीने अपनी बैठक में इस पर विचार करेगी।
अगर इसे मंजूरी मिली तो लाखों टैक्सपेयर्स के लिए जी.एस.टी. अनुपालन काफी आसान हो जाएगा। सूत्रों के मुताबिक जी.एस.टी.एन. के चेयरमैन अजय भूषण पांडेय के नेतृत्व वाली एक समिति ने सिर्फ एक कन्सॉलिडेटेड रिटर्न की सिफारिश की है। हालांकि डाटा मैङ्क्षचग जैसी अनिवार्यताएं उसमें बरकरार रखी जाएंगी। इसी महीने वित्त और राजस्व सचिव को करीब 100 अहम सुधारों वाली अपनी सिफारिशें सौंप चुकी कारोबारियों की 6 सदस्यीय सलाहकार समिति के सदस्य प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि तीन की जगह एक रिटर्न हमारी अहम सिफारिशों में से है।
इससे सालाना 37 की जगह अधिकतम 13 या कम से कम 4 रिटर्न भरने की जरूरत रह जाएगी। जानकारों का कहना है कि एक रिटर्न की सूरत में भी सेल्स-परचेज की मैङ्क्षचग आसानी से की जा सकती है और इसके लिए 3 रिटर्न की व्यवस्था गैर-जरूरी लगती है। अब जब सिर्फ 60-65 प्रतिशत लोग ही रिटर्न भर रहे हैं और राजस्व घट रहा है, सरकार भी इस ओर गंभीर हुई है।