Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Jun, 2017 04:47 PM
जी.एस.टी. परिषद ने नई कर व्यवस्था को लागू करने की कवायद और तेज कर दी है। दूरसंचार, बैंकिंग और निर्यात जैसे विभिन्न क्षेत्रों की चिंताओं को दूर करने के लिए परिषद ने 18 अलग-अलग समूह बनाए हैं
नई दिल्लीः जी.एस.टी. परिषद ने नई कर व्यवस्था को लागू करने की कवायद और तेज कर दी है। दूरसंचार, बैंकिंग और निर्यात जैसे विभिन्न क्षेत्रों की चिंताओं को दूर करने के लिए परिषद ने 18 अलग-अलग समूह बनाए हैं जो उनसे विचार-विमर्श करेंगे और समस्याओं का निदान किया जाएगा। ये समूह इन क्षेत्रों के मुद्दों का समयबद्ध तरीके से समाधान करेंगे ताकि अप्रत्यक्ष क्षेत्र की नई कर व्यवस्था वस्तु एवं सेवाकर (जी.एस.टी.) को आसानी से लागू किया जा सके। इन समूहों में केन्द्र और राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल किया गया है। ये अधिकारी व्यापार और उद्योग जगत संघों, संस्थाओं से मिले ज्ञापनों का परीक्षण करेंगे और उनसे बातचीत करेंगे। ये समूह उद्योगों के विभिन्न क्षेत्रों की उन खास मुद्दों को भी सामने रखेंगे जिन पर गौर किया जाना है और क्षेत्र विशेष के हिसाब से मसौदा दिशानिर्देश भी तैयार करेंगे।
वित्त मंत्रालय के एक वक्तव्य में कहा गया है, ‘‘अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले 18 क्षेत्रीय समूहों में केन्द्र और राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल किया गया है। इन समूहों का गठन उद्योग के विभिन्न क्षेत्र की समस्याओं का समय पर निदान करने की पहल होगी ताकि जी.एस.टी. व्यवस्था को आसानी से अपनाया जा सकेगा।’’
ये समूह जिन अन्य क्षेत्रों की समस्याओं पर गौर करेंगे उनमें आईटी और आईटी संबद्ध क्षेत्र, कपड़ा, रत्न एवं आभूषण, खाद्य प्रसंस्करण, इलैक्ट्रॉनिक-वाणिज्य, तेल एवं गैस, औषधि और एमएसएमई क्षेत्रों को भी देखा जाएगा। समूह विशेष में शामिल अधिकारी उन क्षेत्र के मुद्दों को ही देखेंगे जिनका वह प्रतिनिधित्व करते हैं। वक्तव्य में कहा गया है कि इन समूहों के गठन और विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श और चर्चा से ज्यादातर समस्याओं का हल निकाला जा सकेगा।