Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Sep, 2017 09:07 AM
अगस्त में जी.एस.टी. से सरकार को मिलने वाले राजस्व में कमी दर्ज की गई है जो 90,669 करोड़ रुपए रह ...
नई दिल्ली: अगस्त में जी.एस.टी. से सरकार को मिलने वाले राजस्व में कमी दर्ज की गई है जो 90,669 करोड़ रुपए रह गया। वहीं जुलाई में यह राजस्व 95,000 करोड़ रुपए रहा था। सरकार ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी। हालांकि सरकार ने आगे राजस्व में सुधार की उम्मीद जताई। सरकार ने माना कि जुलाई और अगस्त में बड़ी संख्या में लोगों ने जी.एस.टी. रैवेन्यू जमा नहीं किया। सरकार ने उम्मीद जताई कि आगे कम्प्लायंस में सुधार होने पर जी.एस.टी. से होने वाले राजस्व में सुधार देखने को मिलेगा।
जी.एस.टी. में ऐसे हुआ कलैक्शन
बयान के मुताबिक अगस्त में सी.जी.एस.टी. से रैवेन्यू कलैक्शन 14,402 करोड़ रुपए रहा था। इस महीने में एस.जी.एस.टी. से 21,067 करोड़ रुपए का रैवेन्यू हासिल हुआ। आई.जी.एस.टी. से सरकार को 47,377 करोड़ रुपए का रैवेन्यू मिला। जी.एस.टी. कम्पैनसेशन सैस से 7823 करोड़ रुपए का टैक्स कलैक्शन हुआ।
उद्योग जगत की मुश्किलें बढ़़ीं
आयकर विभाग को संदेह है कि करदाता स्व-निर्धारण के तहत साल की शुरूआती तिमाहियों में अपना अग्रिम कर अदा नहीं करते हैं और वित्त वर्ष के अंत में अतिरिक्त आय या अन्य प्राप्तियों का हवाला देकर बाकी कर चुकाते हैं। सूत्रों के मुताबिक कर अधिकारियों ने पिछले 3 सालों के दौरान स्व-निर्धारण के तहत रिटर्न दाखिल करने वाले कई कॉर्पोरेट एवं व्यक्तिगत करदाताओं से इस बारे स्पष्टीकरण मांगा है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सी.बी.डी.टी.) के नए निर्देशों से पहले से ही जूझ रहे उद्योग जगत की मुश्किलें आयकर विभाग के इस कदम से और बढ़ सकती हैं। सी.बी.डी.टी. ने करदाताओं से कहा कि 2017-18 की पहली छमाही के लिए आय अनुमान और कर देनदारी को 15 नवम्बर से पहले आयकर विभाग को सौंपें। दूसरी ओर स्व-निर्धारण संबंधी पूछताछ ऐसे समय में की जा रही है जब कारोबार वस्तु एवं सेवा कर संबंधी मसलों से पहले से ही जूझ रहा है। एक वरिष्ठ आयकर अधिकारी ने कहा कि आयकर कानून में स्व-निर्धारण की अनुमति है लेकिन इसकी एक सीमा है। करदाता इसे अपनी उन प्राप्तियों को समायोजित करने में इस्तेमाल नहीं कर सकते जिनके लिए उन्होंने अग्रिम कर नहीं चुकाया हो।
सितम्बर में 69,000 करोड़ रुपए का अग्रिम कर संग्रह
जानकारी के अनुसार सितम्बर में 69,000 करोड़ रुपए का अग्रिम कर संग्रह हुआ और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने सालाना आधार पर कम कर चुकाया जबकि स्टील एवं निजी क्षेत्र के ऋणदाताओं ने अपेक्षाकृत ज्यादा अग्रिम कर का भुगतान किया है। एक चार्टर्ड अकाऊंटैंट ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि आयकर विभाग के इस कदम का लक्ष्य कर भुगतान में अंतर जांचने या संभावित कर चोरी का पता लगाने के लिए उठाया जा रहा है। कर आकलन में बहुत ज्यादा अंतर होने की संभावना नहीं है। कम्पनियां स्व-निर्धारण का दुरुपयोग नहीं करती हैं क्योंकि उनके नतीजों का ऑडिट होता है। हालांकि कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इस अधिसूचना का मकसद पारदर्शिता लाना है।