मौद्रिक नीति पर GST का साया, महंगाई बढ़ने का खतरा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Oct, 2017 08:45 AM

gst on monetary policy  risk of inflation rising

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति पर जी.एस.टी. का साया साफ नजर आया जिस कारण आर.बी.आई. ने चालू...

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति पर जी.एस.टी. का साया साफ नजर आया जिस कारण आर.बी.आई. ने चालू वित्त वर्ष में आर्थिक गतिविधियों में आई सुस्ती के साथ ही मानसून के कमजोर रहने के कारण खरीफ पैदावार के अनुमान को घटाए जाने और वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) से विनिर्माण गतिविधियों में आई शिथिलता के मद्देनजर चालू वित्त वर्ष के सकल मूल्य संवर्धन (जी.वी.ए.) वृद्धि के पूर्वानुमान को 7.3 प्रतिशत से घटाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने 2 दिवसीय बैठक के बाद जारी चौथी द्विमासिक ऋण एवं मौद्रिक नीति में जी.वी.ए. अनुमान में कमी की है।

बढ़ सकती है महंगाई
बयान में कहा गया है कि शुरूआत में मानसून ठीक रहा था लेकिन बाद में यह मंद पड़ने लगा और इसका असर खरीफ फसलों की पैदावार पर हो सकता है। इसकी वजह से महंगाई बढ़ सकती है। आर.बी.आई. ने कहा है कि महंगाई अपने मौजूदा स्तर से और बढ़ेगी। केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार आवास भत्ता दिए जाने का भी असर महंगाई पर हो सकता है। हालांकि रिजर्व बैंक ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने का अनुमान है। केन्द्रीय बैंक ने कहा कि विश्व व्यापार संगठन ने वैश्विक व्यापार में बढ़ौतरी होने का संकेत दिया है और एशियाई देश इस बढ़ौतरी के वाहक होंगे। ब्रोकरेज कंपनी एडलवाइज की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल के बचे 3 महीनों में कभी भी 0.25 प्रतिशत रेट कट की संभावना बन सकती है।

SLR में कटौती के मायने
कमर्शियल बैंकों के लिए अपने हर दिन के कारोबार के अंत में नकद, सोना और सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश के रूप में एक खास रकम रिजर्व बैंक के पास रखना जरूरी होता है जो वह किसी भी आपात देनदारी को पूरा करने में इस्तेमाल कर सके। जिस रेट पर बैंक अपना पैसा सरकार के पास रखते हैं उसे एस.एल.आर. कहते हैं। इसका प्रयोग भी लिक्विडिटी कंट्रोल के लिए किया जाता है। इस पर रिजर्व बैंक नजर रखता है ताकि बैंकों के उधार देने पर नियंत्रण रखा जा सकता है।
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ब्याज दरें ऊंची रखने को लेकर बैंकों की आलोचना
रिजर्व बैंक ने ब्याज दरें ऊंची रखने को लेकर बैंकों की कड़ी आलोचना की है। साथ ही आधार दर और कोष की सीमांत लागत आधारित ब्याज दर (एम.सी.एल.आर.) को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि इससे नरम मौद्रिक नीति का लाभ बेहतर तरीके से नहीं मिला। रिजर्व बैंक के एक आंतरिक समूह ने समयबद्ध तरीके से बाह्य मानक अपनाने का सुझाव दिया ताकि कर्ज लेने वालों को बेहतर ब्याज दर मिल सके। केंद्रीय बैंक ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘रिजर्व बैंक के अध्ययन समूह का मानना है कि आधार दर: एम.सी.एल.आर. जैसे आंतरिक मानकों से मौद्रिक नीति का प्रभावी तरीके से लाभ नहीं पहुंचा।’’

नहीं मिला दीवाली का तोहफा
यह पहले से ही माना जा रहा था कि आर.बी.आई. रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करेगा। पिछले दिनों खाद्य महंगाई बढ़ने और कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा के चलते रेपो रेट में कमी करने की संभावना न के बराबर थी। रेपो रेट कम न होने की वजह से आपकी ई.एम.आई. सस्ती नहीं होगी। सस्ते कर्ज के दीवाली तोहफे का इंतजार कर रहे लोगों को निराशा हाथ लगी है।

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