GST: स्टील महंगा होने का असर, हैंडटूल्स एक्सपोर्ट में 25 प्रतिशत की गिरावट

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Jan, 2018 11:55 AM

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केंद्र सरकार द्वारा पिछले वर्ष 1 जुलाई से देश में लागू जी.एस.टी. का भारतीय अर्थव्यवस्था पर पडऩे वाला असर धीरे-धीरे सामने आने लगा है। सबसे चौंकाने वाले आंकड़े हैंडटूल्स एक्सपोर्ट को लेकर सामने आए हैं। हैंडटूल एक्सपोर्ट में 25 प्रतिशत की भारी गिरावट...

जालंधर : केंद्र सरकार द्वारा पिछले वर्ष 1 जुलाई से देश में लागू जी.एस.टी. का भारतीय अर्थव्यवस्था पर पडऩे वाला असर धीरे-धीरे सामने आने लगा है। सबसे चौंकाने वाले आंकड़े हैंडटूल्स एक्सपोर्ट को लेकर सामने आए हैं। हैंडटूल एक्सपोर्ट में 25 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की गई है। पता चला है कि सबसे तगड़ा झटका भारत को हैंडटूल एक्सपोर्ट के क्षेत्र में चीन ने दिया है। स्टील की बढ़ती कीमतों, डॉलर में रुपए के मुकाबले बढ़ौतरी न होने तथा निर्यातकों को जी.एस.टी. लागू होने के बाद रिफंड न मिलने से भी निर्यात में गिरावट का रुख देखा गया है।

भारत सरकार का नहीं मिला सहयोग
हैंड टूल क्षेत्र से जुड़े उद्यमियों ने बताया कि एक तरफ चीन सरकार अपने हैंडटूल उद्यमियों को पूरा सहयोग दे रही है तो दूसरी तरफ भारत सरकार ने हैंडटूल उद्यमियों को कोई भी सहयोग नहीं दिया है। उद्यमियों ने बताया कि 2014-15 में हैंडटूल्स एक्सपोर्ट 332.22 मिलियन डालर था। 2015-16 में कुछ प्रमुख हैंडटूल इकाइयों का निर्यात 267.94 मिलियन डालर पर आ गया। उसके बाद 2016-17 में इसमें और गिरावट देखी गई तथा हैंडटूल निर्यात 251.66 मिलियन डालर पर आ गया। इसी तरह से जी.एस.टी. लागू होने के बाद निर्यात में गिरावट का रुख सामने आ रहा है। चीन में हैंडटूल्स इकाइयों द्वारा सॉकेट्स का निर्माण किया जाता है। भारत में हैंडटूल उद्यमियों द्वारा स्पैनर्स बनाए जाते हैं। 

जी.एस.टी.  के रिफंड की रफ्तार धीमी
उद्यमियों ने बताया कि भारत सरकार द्वारा जी.एस.टी. तो लागू कर दिया गया परंतु उसका रिफंड देने की रफ्तार बहुत धीमी चल रही है। निर्यातकों का 2 से 5-5 करोड़ तक का रिफंड सरकार के पास बकाया पड़ा हुआ है परंतु केंद्र सरकार भी रिफंड नहीं दे रही क्योंकि जी.एस.टी. की कलैक्शन में भारी गिरावट आई हुई है। केंद्र की स्वयं की आमदनी घटी हुई है।

उन्होंने बताया कि रुपए के मुकाबले डालर भी 63 के स्तर पर टिका हुआ है। पहले डालर 66 से 67 के स्तर पर होता था परन्तु अब यह भी स्थिर हो चुका है जिस कारण निर्यातकों को नुक्सान हो रहा है क्योंकि डालर जितना मजबूत होता है उतना ही निर्यातकों को लाभ अधिक होता है परन्तु डालर की कमजोरी के कारण निर्यातकों के लाभ मार्जिन पर असर पड़ रहा है। निर्यातकों ने यह भी कहा कि वैश्विक मंदी का असर भी हैंडटूल एक्सपोर्ट पर पड़ रहा है। वैश्विक मंदी के कारण पहले ही भारतीय अर्थव्यवस्था इसकी लपेट में आई हुई है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी लागू होने के बाद से हैंडटूल कारोबार प्रभावित होना शुरू हो गया था।

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