Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Nov, 2017 12:16 PM
वित्त मंत्री अरुण जेतली ने कहा कि जी.एस.टी. दर युक्ति संगत बनाने के निर्णय को चुनाव या किसी राजनीतिक मांग से जोडऩा बचकानी राजनीति है। वित्त मंत्री ने जी.एस.टी. के तहत एकल कर दर को खारिज किया। उन्होंने कहा कि जो एकल दर की मांग कर रहे हैं उन्हें शुल्क...
नई दिल्लीः वित्त मंत्री अरुण जेतली ने कहा कि जी.एस.टी. दर युक्ति संगत बनाने के निर्णय को चुनाव या किसी राजनीतिक मांग से जोडऩा बचकानी राजनीति है। वित्त मंत्री ने जी.एस.टी. के तहत एकल कर दर को खारिज किया। उन्होंने कहा कि जो एकल दर की मांग कर रहे हैं उन्हें शुल्क ढांचे की समझ नहीं है। जी.एस.टी. दरों में अभी और बदलाव की गुंजाइश है, पर इसकी दिशा राजस्व वृद्धि पर निर्भर करेगी।
उन्होंने बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर जा रही है और यह भविष्य में और बेहतर प्रदर्शन करेगी। अरुण जेतली की यह टिप्पणी ऐसे समय में सामने आई है जब जी.एस.टी. काऊंसिल ने काफी सारी वस्तुओं को 28 प्रतिशत टैक्स स्लैब से घटाकर 18 प्रतिशत के स्लैब में कर दिया है।
सरकार की नीतियों में कोई प्लाङ्क्षनग नहीं
जी.एस.टी. दरों में बदलाव एक ऐसा संकेत है जो दिखाता है कि नरेंद्र मोदी सरकार जमीनी स्तर पर चीजों पर नजर रख रही है। दरों में बदलाव यह दर्शाता है कि सरकार की नीतियों में कोई प्लानिंग नहीं है। हालांकि वित्त मंत्री के मुताबिक पिछली कुछ मीटिंग्स में जी.एस.टी. स्ट्रक्चर को ताॢकक बनाने की हमारी कोशिशों के तौर पर काऊंसिल समय-समय पर दरों की समीक्षा करती रहती है।
स्लैब बदलने से नहीं होगा कुछ
जी.एस.टी. एक ऐसा बड़ा पब्लिक पॉलिसी कदम है जिसे इस तर्क के आधार पर तैयार किया गया है कि समाज में असमानता को टैक्सेशन के जरिए खत्म किया जा सकता है। आइटमों को एक स्लैब से दूसरे टैक्स स्लैब में बार-बार डालने से भी वह असर पैदा नहीं हो सकता जो गरीबों के लिए कल्याणकारी स्कीमों के जरिए हासिल किया जा सकता है।