शराब को जी.एस.टी. के दायरे में लाने की तैयारी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Mar, 2018 03:48 AM

gst to alcohol preparation to be brought under the purview of

वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) परिषद शनिवार को होने वाली बैठक में शराब को जी.एस.टी. के दायरे में लाने की दिशा में पहला कदम उठा सकती है। अगर आम राय बनती है तो राज्यों की ओर से प्रतिरोध के बावजूद अल्कोहल युक्त पेय बनाने में इस्तेमाल होने वाले एक्स्ट्रा...

नई दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) परिषद शनिवार को होने वाली बैठक में शराब को जी.एस.टी. के दायरे में लाने की दिशा में पहला कदम उठा सकती है। अगर आम राय बनती है तो राज्यों की ओर से प्रतिरोध के बावजूद अल्कोहल युक्त पेय बनाने में इस्तेमाल होने वाले एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल (ई.एन.ए.) या ‘मानव के उपयोग वाले अल्कोहल’ को जी.एस.टी. के दायरे में लाया जा सकता है। 

ई.एन.ए. पर जी.एस.टी. लगाने की केन्द्र सरकार की यह दूसरी कवायद है जिस पर इस समय राज्य सरकारें कर लगाती हैं। पीने वाले अल्कोहल को जी.एस.टी. के बाहर रखा गया है जबकि इसका कच्चा माल ई.एन.ए. अपरिभाषित क्षेत्र में है। औद्योगिक अल्कोहल जी.एस.टी. के दायरे में आता है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि परिषद जी.एस.टी. के तहत ई.एन.ए. को लाने पर फिर से विचार करेगी। राज्यों ने पहले इसका विरोध किया था लेकिन अब इस मसले पर हमारे पास कानूनी राय है जिससे इसे जी.एस.टी. के दायरे में लाने की हमारी कवायद को बल मिलता है। परिषद की बैठक करीब डेढ़ महीने के अंतराल पर होने जा रही है। केन्द्र सरकार ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से सलाह ली है जिनका मानना है कि ई.एन.ए. पर जी.एस.टी. लागू हो सकता है क्योंकि यह पीने वाली शराब नहीं है। इस पर 18 प्रतिशत कर लगाए जाने का प्रस्ताव है। 

विपक्ष शासित राज्यों का कड़ा रुख
बहरहाल विपक्ष शासित राज्यों का इस पर कड़ा रुख है। पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने तर्क दिया कि अगर ई.एन.ए. को जी.एस.टी. के दायरे में लाया जाता है तो इसे अल्कोहल पर कर लगाने के रूप में देखा जाएगा। राज्य सरकारें इस समय ई.टी.ए. पर मूल्यवर्धित कर और बिक्री कर लगाती हैं। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि परिषद इस मसले पर भी विचार करेगी कि क्या ई.एन.ए. पर जी.एस.टी. लगाने के लिए संविधान में संशोधन की जरूरत है या यह प्रशासनिक रूप से किया जा सकता है। बहरहाल ई.एन.ए. को जी.एस.टी. के दायरे में लाए जाने से पीने योग्य शराब को भी इसमें शामिल किए जाने को बल मिलेगा।

जी.एस.टी. के बुनियादी सिद्धांतों का होगा उल्लंघन
उद्योग जगत के एक विशेषज्ञ ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा कि ई.एन.ए. को शामिल किए जाने का मतलब यह हुआ कि यह जी.एस.टी. के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन होगा। इससे कर का बोझ बढ़ेगा। आदर्श रूप में इनपुट और आऊटपुट पर एक समान कर होना चाहिए। डेलॉयट इंडिया के पार्टनर एम.एस. मणि ने कहा कि जी.एस.टी. लागू किए जाने के मकसद में से एक यह भी है कि आपूर्ति शृंखला में टैक्स क्रैडिट को टूटने से रोका जाए। ई.एन.ए. जैसे कुछ इनपुट के मामले में यह लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता। यह जरूरी है कि ऐसी व्यवस्था बनाई जाए कि किसी उद्योग पर इनपुट टैक्स क्रैडिट बोझ न बने जिससे जी.एस.टी. के बुनियादी सिद्धांतों को संरक्षित करने में मदद मिलेगी।

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