Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Dec, 2017 02:45 PM
भले ही सरकार 1 जनवरी से हालमार्किंग अनिवार्य अनिवार्य करने जा रही है लेकिन उसके लिए उसे लागू कर पाना मुश्किल होगा। ज्वैलर्स के अनुसार देश में अभी केवल 500 लैब है जो हालमार्किंग देती है। वहीं केवल 15,000 ज्वैलर्स के पास हालमार्किंग का लाइसेंस है। ऐसे...
नई दिल्लीः भले ही सरकार 1 जनवरी से हालमार्किंग अनिवार्य अनिवार्य करने जा रही है लेकिन उसके लिए उसे लागू कर पाना मुश्किल होगा। ज्वैलर्स के अनुसार देश में अभी केवल 500 लैब है जो हालमार्किंग देती है। वहीं केवल 15,000 ज्वैलर्स के पास हालमार्किंग का लाइसेंस है। ऐसे में सरकार इसे जल्दबाजी में लागू करती है तो इसका नुकसान कस्टमर और इंडस्ट्री दोनों को होगा। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) ने हॉलमार्किंग को लेकर ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (बीआईएस) को सिफारिशें भेजी है।डब्ल्यूजीसी चरणबद्ध तरीके से हालमार्किंग लागू कराना और अनिवार्य बनाना चाहता है।
सरकार ने ऐसे संकेत दिए हैं कि वह हालमार्किंग और कैरेट काउंट को अनिवार्य बनाएंगे। ये तीन चरणों में किया जाएगा जिसमें 22 शहरों में पहले हालमार्किंग अनिवार्य किया जाएगा जिसमें मुंबई, नई दल्ली, नागपुर, पटना जैसे शहर शामिल हैं। दूसरे चरण में 700 शहर और आखिर में देश के बाकी शहरों में इसे लागू किया जाएगा। सरकार 1जनवरी 2018 से 14 कैरेट, 18 कैरेट और 22 कैरेट ज्वैलरी की हॉलमार्किंग अनिवार्य कर सकती है।
सभी कैरेट के लिए हो हॉलमार्किंग
सरकार 14 कैरेट, 18 कैरेट और 22 कैरेट ज्वैलरी की हॉलमार्किंग अनिवार्य कर रही है लेकिन इंडिया में 20 कैरेट की भी ज्वैलरी बनती है। सिफारिशों में 18 से 22 कैरेट के बीच के स्लैब के लिए भी हालमार्किंग अनिवार्य करनी होगी। अगर ऐसा नहीं होता तो इंडस्ट्री इन लूपहोल्स का फायदा उठाएगी।