जानिए नई करेंसी कैसे पहुंचती है बैंकों में?

Edited By ,Updated: 18 Nov, 2016 10:42 AM

here  s how the new currency in banks reaches

देशभर में पुराने नोटों को बदलने को लेकर अफरातफरी मची हुई है। देश में डिमॉनेटाइजेशन की प्रक्रिया के केन्द्र में बैंक (सरकारी और प्राइवेट) हैं।

नई दिल्ली: देशभर में पुराने नोटों को बदलने को लेकर अफरातफरी मची हुई है। देश में डिमॉनेटाइजेशन की प्रक्रिया के केन्द्र में बैंक (सरकारी और प्राइवेट) हैं। यह बैंकों की जिम्मेदारी है कि 500 और 1000 रुपए की पुरानी करेंसी को गैरकानूनी घोषित किए जाने के बाद वह अहम भूमिका निभाए।

पुरानी करेंसी को नागरिकों से वापस लेकर उसके बदले में नई करेंसी देने का काम बिना रुके लगातार चलता रहे। लेकिन क्या आपका बैंक इस जिम्मेदारी के लिए तैयार है? क्या उसके पास वह तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं जिससे वह इस काम को बाखूबी अंजाम दे सके? रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया देश का सेंट्रल बैंक है। बैंकों का बैंक या कहें सरकार का बैंक। नई करेंसी की प्रिंटिंग का काम रिजर्व बैंक के जिम्मे रहता है।

मौजूदा समय में 2000 रुपए, 500 रुपए और 100 रुपए की करेंसी की प्रिंटिंग का काम बिना रुके चल रहा है। नई करेंसी पहुंचते ही वह बैंक इसे अपनी ब्रांच और फिर सीधे अपने कस्टमर को उपलब्ध करा देता है। इस संचार के लिए रिजर्व बैंक शिड्यूल्ड बैंकों की लिस्ट तैयार करता है। आमतौर पर इस लिस्ट में सभी सरकारी बैंक शामिल किए जाते हैं और उनके साथ बड़े प्राइवेट बैंक भी रखे जाते है।

बड़े प्राइवेट बैंक को मिलती है नई करेंसी
लिहाजा, करेंसी को लेकर जारी संकट में जानिए कि क्या आपका बैंक रिजर्व बैंक की इस प्राथमिकता वाली शिड्यूल्ड लिस्ट में आता है। इस लिस्ट में शामिल बैंक करेंसी चेस्ट से लैस रहते हैं। यह करेंसी चेस्ट बड़ी मात्रा में करेंसी को सुरक्षित रखने की क्षमता होती है। उक्त बैंक की सभी ब्रांच अपनी दिन-प्रतिदिन की जरूरत के लिए करेंसी चेस्ट से कैश का लेन-देन करती हैं। यह भी रिजर्व बैंक ने तय किया है कि बैंक की किसी ब्रांच में कैश रखने की कितनी लिमिट होनी चाहिए और इस लिमिट के पार होने पर उसे अतिरिक्त कैश नजदीकी करेंसी चेस्ट में जमा कराना होता है।

कई बार रीफिल की जरूरत
करेंसी बदलने के साथ-साथ बैंकों को जरूरत है कि वह देशभर में फैले अपने एटीएम नैटवर्क को तत्काल प्रभाव से नई करेंसी के साथ शुरू करें। एटीएम और बैंक पर उमड़ रही भीड़ को कम करने का सिर्फ एक ही तरीका है कि बैंक के अलावा देश के सभी एटीएम की रीफिलिंग का काम बिना रुके चलता रहे। जरूरत पड़ने पर भीड़भाड़ वाले इलाकों के एटीएम को दिन में कई बार रीफिल करें।

वहीं जिन बैंकों को इस लिस्ट में नहीं शामिल किया गया है उनके पास किसी तरह का कोई करेंसी चेस्ट नहीं रहता है। लिहाजा रिजर्व बैंक के निर्देशों का पालन करने के लिए इन्हें अपने अतिरिक्त कैश को किराए पर किसी अन्य बैंक के करेंसी चेस्ट में जमा कराना पड़ता है। मौजूदा स्थिति में जब शिड्यूल्ड बैंक अपनी ब्रांच और एटीएम की व्यवस्था को दुरुस्त करने की कवायद में लगे हैं, नॉन शिड्यूल्ड बैंकों की जरूरत उनकी प्राथमिकता में नहीं हैं।

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